Organ Transplant Fake NOC Case : राजस्थान पत्रिका की पड़ताल में सामने आया है कि प्रत्यारोपण की पूरी प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए सवाईमानसिंह मेडिकल कॉलेज की कमेटी ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य निदेशालय में भी अंग प्रत्यारोपण प्रकोष्ठ बनाया हुआ है।
जयपुर. प्रदेश के निजी अस्पतालों में बीते तीन साल के दौरान एक हजार से अधिक अंग प्रत्यारोपण के बदले मरीजों से करीब 300 करोड़ रुपए से अधिक वसूल किए गए। इसमें से करीब 60 से 70 फीसदी हिस्सा दलालों और भ्रष्टाचार की पूरी चेन में बंटा। राजस्थान पत्रिका की पड़ताल में सामने आया है कि प्रत्यारोपण की पूरी प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए सवाईमानसिंह मेडिकल कॉलेज की कमेटी ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य निदेशालय में भी अंग प्रत्यारोपण प्रकोष्ठ बनाया हुआ है। हालांकि मानव अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम में इस तरह के किसी भी प्रकोष्ठ का उल्लेख नहीं है लेकिन मॉनिटरिंग के लिहाज से बना प्रकोष्ठ भी पूरी प्रक्रिया से बेखबर की तरह ही बना रहा। चौंकाने वाली बात यह है कि विभागीय स्तर पर बीते एक साल में कई बैठकें अंग प्रत्यारोपण को लेकर हुईं, जिसमें विभाग के आला अधिकारी भी मौजूद रहे। इन बैठकों में अंग प्रत्यारोपण का पूरा ब्योरा अधिकारियों के समक्ष रखा गया। उसके बाद भी पूरा सिस्टम भ्रष्टाचार के रैकेट से अनजान बना रहा।
एफआइआर दर्ज नहीं करवाए जाने से चिकित्सा शिक्षा विभाग सवालों के घेरे में है। अब एफआइआर दर्ज करवाने के प्रस्ताव पर गृह विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए जवाब भेजा है। इसमें कहा गया है कि ट्रांसप्लांट ऑफ ह्यूमन ऑर्गन एक्ट के तहत इसकी प्रक्रिया पहले से है और नामित अधिकारी ही ऐसे मामले में कार्रवाई कर सकता है। गृह विभाग ने चिकित्सा शिक्षा विभाग को अटॉर्नी जरनल से राय लेने को कहा है।