जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी ने बताया कि भारत सरकार द्वारा बनाए गए किशोर न्याय अधिनियम 2015 के अनुसार कोई भी ऐसा बाल गृह जो किसी सरकारी गैर सरकारी संस्था द्वारा चलाया जा रहा हो, जिसमें 0 से 18 वर्ष के अनाथ और निराश्रित बच्चों या विकलांग बच्चों को आवास और भोजन और देखभाल प्रदान की जाती है और उन्हें सरकार से अनुदान मिलता है या नहीं, उन्हें किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 41 (1) के तहत पंजीकृत होना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि किशोर न्याय (बच्चों की सुरक्षा एवं देखभाल) के तहत सरकारी एवं गैर सरकारी संस्था द्वारा निबंधन के लिए संबंधित जिले के उपायुक्त को अनुरोध पत्र देना होगा तथा उक्त बाल गृह का निरीक्षण करने के बाद जिला स्तरीय निरीक्षण समिति द्वारा उपायुक्त की अनुशंसा के माध्यम से राज्य सरकार को निबंधन के लिए भेजा जाना है, उक्त अवधि के दौरान राज्य सरकार द्वारा छह माह के लिए औपबंधिक निबंधन किया जाता है तथा दस्तावेजों के पूर्ण सत्यापन के बाद पांच वर्ष के लिए स्थायी निबंधन किया जाता है।