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करतारपुरा कॉरीडोर: 20 यूएस डॉलर मांग रहा था पाकिस्तान, भारत ने नकारा

Kartarpur Corridor: पाकिस्तान प्रत्येक यात्री से 20 यूएस डॉलर टैक्स वसूलना चाहता था, जिसे भारत ने नकार दिया। रोज 5000 यात्रियों के दर्शन के लिए जाने पर सहमति बनी।

अमृतसरSep 04, 2019 / 05:51 pm

Brijesh Singh

करतारपुरा कॉरीडोर: 20 यूएस डॉलर मांग रहा था पाकिस्तान, भारत ने नकारा

( अमृतसर, धीरज शर्मा )। भारत और पाकिस्तान के बीच करतारपुर गलियारे ( Kartarpur Corridor ) को लेकर बुधवार को हुई बातचीत में थोड़ी प्रगति हुई है। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि यह गलियारा वर्ष भर रोज खुलेगा। तीर्थ यात्रियों के लिए अकेले या समूह में यात्रा करने का विकल्प खुला रहेगा। हालांकि महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर मतभेद के कारण समझौते को अंतिम रूप अब तक नहीं दिया जा सका है। करतारपुर साहिब ( Kartarpur Sahib ) की यात्रा करने के लिए तीर्थयात्रियों से सेवा शुल्क वसूलने के पाकिस्तान का प्रस्ताव भारत सरकार ने कतई नामंजूर कर दिया है। पाकिस्तान प्रत्येक यात्री से 20 यूएस डॉलर टैक्स वसूलना चाहता था। इसलिए इस मुद्दे पर सहमति नहीं बन सकी। उधर, पाकिस्तान ने गुरुद्वारा परिसर में भारतीय दूतावास के अधिकारी अथवा प्रोटोकॉल अधिकारी की उपस्थिति की अनुमति देने को लेकर भी असहमति जताई। भारत ने पाकिस्तान ( Pakistan Delegation ) से इस मुद्दे पर दोबारा विचार करने को कहा और आगे बात बढ़ाने की पेशकश की। दोनों देश तीर्थ यात्रियों के आवागमन के लिए सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करने पर भी सहमत हुए हैं।

इन मुद्दों पर भी हुई बात

सूत्रों के मुताबिक भारत ने पाकिस्तान से तीर्थ यात्रियों की सुविधा के लिए हर दिन उसके साथ प्रोटोकॉल अधिकारी जाने की अनुमति का आग्रह किया, जिसे पाकिस्तान ने सिरे से खारिज कर दिया। खबर है कि भारत की तरफ से 10 सितंबर तक रोड का कार्य पूरा हो जाएगा। अब इंतजार सिर्फ और सिर्फ पाकिस्तान की तरफ से कार्य पूरे होने का है। इससे पहले बुधवार को वार्ता शुरू हुई, जिसमें श्रद्धालुओं की यात्रा फ्री हो या उसमें खर्च आए, इस पर विचार विमर्श हुआ। श्रद्धालुओं के सुबह 9:00 बजे से रात 9:00 बजे तक होने वाली ननकाना साहब ( Nankana Sahib ) यात्रा में सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर श्रद्धालुओं के साथ आने वाले अधिकारियों को आने दिया जाए या नहीं, इस पर पाकिस्तान का रवैया अस्पष्ट सा रहा। तीसरे दौर की वार्ता में कई अहम मुद्दों पर दोनों पक्षों के बीच सहमति बनी। बुधवार को हुई बैठक में फैसला लिया गया कि भारतीय सिख श्रद्धालु बिना वीजा के पूरे साल करतारपुर साहिब के दर्शन कर सकेंगे। न केवल सिख श्रद्धालु, बल्कि अन्य लोग भी करतारपुर साहिब ( Kartarpur Sahib ) के दर्शन कर सकेंगे। प्रतिदिन 5000 श्रद्धालु करतारपुर साहिब के दर्शन कर सकेंगे।

इन मुद्दों पर हुई बातचीत
जानकारी के मुताबिक, बुधवार को बैठक में रावी नदी पर पुल बनाने को लेकर भी चर्चा हुई, जिस पर सहमति भी बन गई। श्रद्धालुओं में बंटने वाले प्रसाद और लंगर के लिए भी जरूरी इंतजाम करने पर सहमति बन गई है। दोनों देश यात्रियों को सुरक्षित और सौहार्दपूर्ण माहौल मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं। बैठक में आपातकाल की स्थितियों पर भी बातचीत हुई। अगर किसी तरह की इमरजेंसी हो, तो दोनों देश सहयोग करते हुए उचित व्यवस्था करेंगे, इस पर सहमति बनी। विशेषकर मेडिकल इमरजेंसी के हालात में। इसके लिए बीएसएफ ( BSF ) और पाकिस्तान रेजर्स ( Pakistan Rangers ) के बीच सीधी बातचीत होगी, उसके बाद समस्या का समाधान निकाला जाएगा। गत 30 अगस्त को डेरा बाबा नानक की जीरो लाइन पर हुई बैठक जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने से पैदा हुए तनाव के बाद दोनों देशों के बीच पहली मीटिंग थी। यह पांचवीं बैठक थी, जिसमें दोनों देशों की टीमों के 15-15 सदस्य शामिल थे। भारत की तरफ से राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय, जमीनी बंदरगाह अथॉरिटी, नहरी विभाग के अलावा बीएसएफ के अधिकारी शामिल हुए। बैठक के बाद अधिकारियों ने मीडिया से पूरी तरह से दूरी बनाए रखी।

इन मुद्दों पर चली रस्साकशी
बैठक में कॉरिडोर के उद्घाटन की तारीख तय करने के अलावा विभिन्न तकनीकी मुद्दों पर चर्चा की गई थी। इसके अलावा माना जा रहा है कि मीटिंग में पाकिस्तान द्वारा जीरो लाइन ( Zero Line ) तक तैयार किए जाने वाला करीब 300 मीटर लंबे पुल के बजाय अस्थाई सड़क तैयार किए जाने, दोनों देशों की तैयार की गई सड़कों, पुल और श्रद्धालुओं की संख्या के बारे में चर्चा की गई। भारत अपनी तरफ से पुल का निर्माण कर रहा है, जो निर्धारित समय से पहले तैयार हो जाएगा। श्रद्धालुओं के आने-जाने पर पाकिस्तान सरकार एक श्रद्धालु से 20 यूएस डॉलर टैक्स वसूला चाहती थी, वहीं भारत सरकार चाह रही थी की जो भी 5000 श्रद्धालु दर्शनों के लिए पाकिस्तान ननकाना साहब जाएं, तो उनकी सुरक्षा स्वास्थ्य सुरक्षा और छोटी-छोटी जरूरतों के लिए उनके साथ अधिकारी भेजे जाएं, ताकि आने जाने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना ना करना पड़े और वह समय से दर्शन कर वापस लौट सकें।

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