अनूपपुर। सूर्य की बहन षष्ठी को समर्पित सूर्य उपासना का महापर्व छठ व्रत के अंतिम चौथे दिन ११ नवम्बर की सुबह छठव्रती माताओं ने उगते सूर्य को अघ्र्य देकर अपने व्रत का समापन किया। सूर्योदय से पहले ही व्रती माताएं अपने परिजनों के साथ नदी-तालाब पर बने घाट पर पहुंची तथा उगते सूर्यदेव की पूजा अर्चन किया। इस दौरान जिला मुख्यालय अनूपपुर के सामतपुर तालाब, तिपाननदी घाट, पसान, कोतमा, बिजुरी, राजनगर क्षेत्रों में मेला जैसा माहौल बना रहा, रंग-बिरंगी बिजली लाइटों से सजी घाटों व दीपक की रोशनी से नहाया नदी-तालाब घाट रौशन बना रहा। परिवार की महिलाएं सूर्य का आह्वान करती छठ मईया की गीत गाती रही। सुबह लगभग ६.४५ बजे के आसपास पूरब दिशा से लालिमा लिए उदीयमान सूर्यदेव ने व्रती मातओं को अपना दर्शन दिया। यहां भी व्रती माताओं ने शाम की ही तरह सूर्य देव का आह्वान कर अपनी संतान और परिजनों की सुख समृद्धि की कामना लिए आशीष मांगा। शाम को जहां पश्चिम दिशा की ओर मुख कर व्रती माताओं ने पानी में खडे होकर डूबते सूर्य को अघ्र्य दिया था, वहीं सुबह माताएं पूरब दिशा उगते सूर्यदेव को अघ्र्य दी। वहीं संध्या अघ्र्य में अर्पित पकवानों को नए पकवानों से प्रतिस्थापित कर दिया गया था। लेकिन कन्द- मूल व फल वही रहें। सुबह पूजा-अर्चना समाप्ती के बाद घाट का पूजन कर माताओं ने लोगों में प्रसाद का वितरण किया। इसके बाद व्रती माताएं परिजनों के साथ घर की ओर वापसी की, जहां घरों पर भी पूजा अर्चना कर विशेष पकवानों से पारण कर अपना व्रत तोड़ा। लेकिन इन दो पहर(शाम-सुबह) छठ पूजा का यह उत्सव मानव जीवन में नया रंग भर आने वाले समय में आस्था और विश्वास को जगा गया। बॉक्स: स्थानीय जनों ने भी पर्व में शामिल होकर देखा छठ मईया की महिमालोक परम्परा और आस्था का महापर्व छठ पूजा पसान नगर पालिका क्षेत्र के भालूमाड़ा केवई नदी घाट में श्रद्धा व आस्था के साथ मनाया गया। हजारों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं व्रतियों ने शाम को डूबते और सुबह उगते सूर्यदेव को अघ्र्य देकर अपने संतान परिवार की सुरक्षा की कामना का व्रत रखते हुए विधि विधान से पूजन किया। इस अवसर पर केवई पुल घाट में जगमग दीप प्रज्ज्वलन से पूरे नदी में दीपदान जैसा दृश्य दिख रहा था। वही छोटे बच्चों से लेकर बड़ों तक ने पूजा में शामिल होकर सूर्य भगवान व छठ मैया की आराधना किए। पुन: प्रात: उगते सूर्य भगवान को अघ्र्य देकर पूजा का समापन किया। इसके अलावा बिजुरी, कोतमा, अमरकंटक में भी निवासरत उत्तर भारतीय प्रांत के परिवारों ने स्थानीय तालाब और नदी घाटों पर सूर्य उपासना का महापर्व छठ मईया का आह्वान करते हुए उनकी विशेष पूजा अर्चना की। जिसमें स्थानीय निवासरत लोगों ने भी छठ मईया के लिए किए जा रहे पूजन अर्चन, उनके विधि विधान और लोगों की उपासना के प्रति आस्था को देखा। छठ पूजन के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों, समाजसेवियों और प्रशासन ने भी व्यवस्थाओं में तत्परता दिखाते हुए महापर्व को शांति व श्रद्धा के साथ सम्पन्न कराया। [typography_font:18pt;” >————————————————-