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अनूपपुर

ये क्या?…बिजली गुल होते ही थम जाता है धमनियों में रक्त का प्रवाह, भगवान भरोसे डायलिसिस के मरीज

ये क्या?…बिजली गुल होते ही थम जाता है धमनियों में रक्त का प्रवाह, भगवान भरोसे डायलिसिस के मरीज

अनूपपुरJul 01, 2018 / 08:38 pm

shivmangal singh

What is this? ... The power gets tired as soon as it gets cold Blood f

ये क्या?…बिजली गुल होते ही थम जाता है धमनियों में रक्त का प्रवाह, भगवान भरोसे डायलिसिस के मरीज

चिकित्सों की आपत्ति के बाद भी अस्पताल प्रशासन नहीं गम्भीर, रोजाना ४ मरीजों का होता है डायलिसिस उपचार
अनूपपुर। जिला अस्पताल में मौत और जीवन के बीच जूझ रहे रक्त संक्रमित मरीजों के डायलिसिस उपचार के प्रति जिला अस्पताल प्रशासन गम्भीर नहीं है। जहां डायलिसिस के दौरान धमनियों में प्रवाहित होने वाला रक्त बिजली गुल के दौरान थम जाता है। जबकि जिला अस्पताल में रोजाना ४ मरीजों का डायलिसिस उपचार किया जाता है। जिसमें प्रति मरीज ४ घंटे की न्यूनतम अवधि गुजरती है। बावजूद जिला अस्पताल में संचालित डायलसिस यूनिट में बिजली की निर्बाध आपूर्ति के अभाव में रक्त डायलिसिस के लिए बिस्तर पर उपचाररत मरीजों को बिजली आने का घंटों इंजतार करना पड़ता है। यहां तक अधिक समय होने पर डॉक्टरों को मरीजों को चढाई जाने वाली खून को पुन: पाउच में रक्त को भंडारित कर वापस मरीज को बिना उपचार भेजना पड़ता है। डायलिसिस के दौरान बनने वाली इस दुविधा पर डॉक्टरों ने कई बार आपत्ति जताते हुए जिला अस्पताल प्रशासन से बिजली की निर्बाध आपूर्ति व्यवस्था बनाए जाने की अपील की। लेकिन बावजूद अस्पताल प्रशासन की अनदेखी में इस प्रकार की असुविधा से मरीजों को छुटकारा नहंी मिल पाया है। जानकारी के अनुसार वर्ष २०१७ के दौरान जिला अस्पताल में डायलिसिस यूनिट का संचालन किया गया था। जिसमें शुरूआती समय में दो मरीजों का रोजाना उपचार किया जाता था। लेकिन मरीजों की बढ़ती तादाद पर रोजाना ४ मरीजों का उपचार किया जाता है। जिसमें एक मरीज के उपचार के दौरान कम से कम ४ घंटे का समय लगता है। इस दौरान मरीज के शरीर में रक्त चढ़ाने के साथ पुरानी रक्त को बाहर निकालने की कार्यप्रणाली पर डायलिसिस का कार्य किया जाता है। डॉक्टरों का कहना है कि डायलिसिस उपचार के दौरान अगर बिजली गुल होती है तो इससे मरीजों के उपचार पर प्रभाव पड़ता है। साथ ही बार बार रक्त की वापसी करने पर मरीजों की परेशानियां बढ़ जाती है।
बताया जाता है कि डायलिसिस वार्ड को सीधे तौर पर बिजली विभाग द्वारा आपूर्ति कराई जा रही मुख्य लाईन से उपलब्ध कराया जाता है। जबकि डायलिसिस जैसे संवेदनशील वार्ड के लिए बिजली गुल की स्थिति में वैकल्पिक बिजली आपूर्ति कराने वाले संसाधन का होना अनिवार्य है। इसके लिए डॉक्टरो ने जिला अस्पताल में उपलब्ध दो जेनरेटर मशीनों में एक की कनेक्टीविटी डायलिसिस यूनिट से करने की अपील की थी। जिसमें जिला अस्पताल प्रशासन ने हर बार जेनरेटर सुधार कर बिजली आपूर्ति का आश्वासन दिया था। लेकिन आश्चर्य सालभर बाद भी डायलिसिस यूनिट वार्ड को जेनरेटर की सुविधा नहीं मिल सकी है।
बॉक्स: जेनरेटर में नहीं डायलिसिस वार्ड सम्भालने की क्षमता
अस्पताल के बिजली कर्मचारी का कहना है कि वर्तमान में उपलब्ध दोनों जेनरेटर पुराने और जर्जर है। इनमें दोनों में बराबर खराबी बनी रहती है। फिलहाल एक की मरम्मती बेहतर नहीं होने पर बार बार खराबी आता रहता है। जिसके कारण एक ही जेनरेटर से अन्य वार्डो को बिजली आपूर्ति कराई जाती है। जबकि डायलिसिस वार्ड के लिए अधिक बिजली की मांग में दूसरा जेनरेटर अक्षम साबित हो जाता है।
वर्सन:
जेनरेटर खराब की जानकारी मुझे नहीं दी गई है। मैं कल ही जांच करवाकर बिजली की निर्बाध आपूर्ति की सुविधा बनाता हूं।
डॉ. आरपी श्रीवास्तव, सीएमएचओ अनूपपुर।

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