scriptमिट्टी में फंसने से सात दिन में हो चुकी 10 हिरणों की मौत | 10 deer deaths in seven days due to trapping in soil | Patrika News
अशोकनगर

मिट्टी में फंसने से सात दिन में हो चुकी 10 हिरणों की मौत

हिरणों की मौत का कारण बारिश …

अशोकनगरJul 08, 2018 / 10:29 am

Praveen tamrakar

dear

Ashoknagar The injured deer placed on the depot after the treatment.

अशोकनगर. मिट्टी में फंसने से क्षेत्र में पिछले सात दिन में 10 से ज्यादा हिरणों की मौत हो चुकी है। वहीं शनिवार को भी तीन हिरणों की मौत हो गई, इनका वनविभाग ने पीएम कराकर अंतिम संस्कार कराया। हिरणों की मौत का कारण बारिश से गीली हुई खेतों की मिट्टी को बताया जा रहा है। मिट्टी में फंस जाने के बाद हिरण भाग नहीं पाते और कुत्ते व अन्य जानवर उन पर हमला कर देते हैं।
शनिवार को क्षेत्र के बगुल्या, पीलीघटा और खाईखेड़ा गांव में तीन हिरणों के मिट्टी में फंसे होने की जानकारी मिलने पर वन अमला पहुंचा तो एक हिरण की मौत हो चुकी थी और दो हिरण गंभीर रूप से घायल मिले। इन्हें इलाज के लिए लाया गया, जहां दोनों घायल हिरणों की मौत हो गई। वहीं शुक्रवार को भी घायल मिले एक हिरण को लाया गया था। हालांकि उसे उपचार कर डिपो क्षेत्र में छोड़ दिया गया है।
रेंजर सुरेशचंद्र जादोन के मुताबिक पिछले सात दिन के भीतर क्षेत्र में10 से ज्यादा हिरणों की मौत हो चुकी है। इससे वन विभाग ने इन्हें बचाने के लिए उडऩदस्ता भेजना शुरू कर दिए। रेंजर का कहना है कि जहां से भी
हिरण के घायल होने की सूचना मिलती है, वहां तुरंत ही उडऩदस्ता भेजकर उन्हें बचाने का प्रयास किया जा रहा है।

2011 में हुई थी 200 हिरणों की मौत
पिछले 15 साल में जिलेभर में हिरणों का कुनबा बढ़ गया है। इनकी सबसे ज्यादा संख्या नईसराय और शाढ़ौरा क्षेत्र में है। रेंजर के मुताबिक एक साथ झुंड के साथ खेतों से निकलते समय हिरणों के पैर गीली मिट्टी में धंस जाते हैं। इससे वह चल नहीं पाते और खेतों में ही गिर जाते हैं। बाद में कुत्तों व अन्य जानवरों के हमले से मौत का शिकार बन जाते हैं। रेंजर के मुताबिक हर साल ही बारिश के मौसम में हर साल ही हिरणों की मौत हो जाती है और वर्ष 2011 में सबसे ज्यादा 200 हिरणों की मौत हुई थी।

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