सिचाई के लिए किसानों की भी बढ़ गई समस्या-
नदियां और तालाब सूखने का असर खेतों पर बने कुओं पर भी दिखने लगा है। सिचाई के लिए खेतों पर बने इन कुओं में भी पानी घट गया है। किसानों का कहना है कि 15 दिन पहले जिस कुए से चार से पांच घंटे इंजन या विद्युत पंप चलाकर सिचाई हो रही थी, अब उन कुओं में मात्र आधा और एक घंटे का ही पानी बचा है। जबकि इस बार जिले में ज्यादातर रकबे में गेहूं की बोवनी हुई है। इससे किसानों को अपनी फसलों को सींचने की समस्या दिख रही है। साथ ही समय पर फसलों की सिचाई भी नहीं हो पा रही।
विभाग ट्यूबवेलों को बता रहा कारण-
पीएचई विभाग जलस्तर घटने का कारण ट्यूबवेलों को बता रहा है। विभाग के अधिकारियों का कहना हे कि जिले में 400 से 500 फिट तक गहरे ट्यूबवेल हैं और ट्यूबवेलों से सिचाई होने की वजह से जलस्तर घट गया, जो हैण्डपंपों के पाइप लाइन के नीचे पहुंच गया है। पीएचई एई एसके लहारिया का कहना है कि डेढ़ महीने में अशोकनगर और ईसागढ़ ब्लॉक में ही करीब 120 से ज्यादा हैण्डपंपों में 300 पाइप बढ़ाए जा चुके हैं और कई गांवों में लोगों को बिजली जाने का इंतजार करना पड़ता है, ताकि हैण्डपंपों में पानी एकत्रित हो सके।
इन तीन गांव से जाने पेयजल के हालात-
1. हैण्डपंप सूखे, विद्युत मोटरों से ला रहे पानी-
मुंगावली तहसील के ढ़ाई हजार की आबादी वाले अचलगढ़ गांव में एक दर्जन हैंण्डपंप हैं। जलस्तर नीचे चले जाने से ज्यादातर हैण्डपंपों में विद्युत पंप डालकर पानी निकालना पड़ रहा है। धर्मेंद्र जैन के मुताबिक जैन मंदिर के पास, आदिवासी टोरा के तीन हैण्डपंप भी बंद पड़े हुए हैं। लोगों को कई किमी दूर से पानी लाना पड़ रहा है।
2. दूर से पानी ढ़ोने मजबूर हैं ग्रामीण-
अशोकनगर तहसील के एक हजार की आबादी वाले बांसापुर गांव में पानी के लिए लोग परेशान हैं, हैण्डपंप सूख गए हैं। वहीं तालाब भी पूरी तरह से सूख चुका है। हालत यह है कि मवेशी भी पानी के लिए भटक रहे हैं। ग्रामीणों को अपनी प्यास बुझाने के लिए दूर से पानी ढ़ोकर लाना पड़ रहा है। इसकी ग्रामीण कलेक्ट्रेट में शिकायत कर चुके हैं।
3. हैण्डपंप में पानी एकत्रित होने का इंतजार-
एक हजार की आबादी वाले मुंगावली तहसील के बरखाना गांव में नल जल योजना बंद पड़ी है। दो हैंडपंप हैं और दोनों में जलस्तर घट जाने से ग्रामीणों को पानी एकत्रित होने का इंतजार करना पड़ता है। इससे कुछ परिवार पानी भर पाते हैं और बाद में फिर इंतजार किया जाता है। इससे दिनभर लोग पानी की व्यवस्था करने में जुटे रहते हैं।