दो साल बाद भी पूरी राशि वसूल नहीं कर सके
योजना एवं आर्थिक सांख्यिकी विभाग ने वर्ष 2016-17 में चंदेरी जनपद पंचायत को भेजी जाने वाली सांसद निधि, विधायक निधि और स्वेच्छानुदान के 31.61 लाख रुपए लगातार छह माह तक कई ट्रांजेक्शनों के माध्यम से विदिशा के मध्यान्ह भोजन समूह के खाते में भेज दिए थे। लेकिन दो साल बाद भी पूरी राशि वसूल नहीं कर सके। पत्रिका ने बुधवार को इस बड़ी आर्थिक गड़बड़ी का खुलासा कर खबर प्रकाशित की, तो आनन-फानन में योजना विभाग ने बुधवार को राशि वसूल करने के लिए विभाग की टीम को विदिशा रवाना कर दिया। यह टीम समूह के अध्यक्ष-सचिव से मिलेगी और खाते में डाली गई राशि को वापस मांगेगी।
योजना अधिकारी बता रहे जनपद पंचायत की गलती
इस मामले में योजना अधिकारी जनपद पंचायत की गलती बता रहे हैं। योजना अधिकारी का कहना है कि यहां से राशि खाते में ट्रांजेक्शन की गई और जनपद पंचायत को सूचना दी, लेकिन जनपद पंचायत ने नहीं बताया कि उनके खाते में राशि नहीं पहुंची है। जबकि जिला पंचायत सीईओ अजय कटेसरिया एक दिन पहले ही इस पूरी गड़बड़ी के लिए योजना विभाग को जिम्मेदार बता चुके हैं, क्योंकि गलत खाते में राशि योजना विभाग ने डाली।
तत्कालीन बाबू को दिया नोटिस
गलत खाते में राशि पहुंचने के मामले में योजना विभाग ने कुछ महीने पहले गुना में पदस्थ तत्कालीन बाबू को नोटिस जारी किया था। साथ ही उस बाबू को जिम्मेदार ठहराया था, लेकिन पहले ट्रांजेक्शन के दौरान बाबू ने खुद को छुट्टी पर होना बताया तो विभाग ने मामले को फिर से ठंडे बस्ते में डाल दिया। अब अधिकारी दावा कर रहे हैं कि विदिशा जिला पंचायत को समूह के खाते में सात लाख रुपए डालना है और उस राशि को वह योजना विभाग के लिए मंगा रहे हैं।
बड़ा सवाल: दो साल तक क्यों नहीं की कार्रवाई-
इतनी बड़ी राशि गलत खाते में पहुंचने के बाद वसूली के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई। इससे अब बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि आखिर दो साल तक समूह संचालक को बचाने का प्रयास क्यों चलता रहा। वहीं इस मामले में दोषी अधिकारी-कर्मचारियों पर भी कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई। आखिर ऐसा क्या कारण था जो जिम्मेदार प्रशासन इस पूरे मामले को दबाने में लगा रहा।
जिसके खाते में राशि पहुंची, उसके खिलाफ एफआईआर करने के लिए हमने एक साल पहले पुलिस को पत्र लिखा था। लेकिन बाद में अधिकारियों के कहने पर शिकायत वापस ले ली थी। समूह को जिला पंचायत विदिशा से सात-आठ लाख का भुगतान होना है और उस राशि को हम अपने यहां मंगाने का प्रयास कर रहे हैं।
वीएस वसुनिया, जिला योजना अधिकारी अशोकनगर