पर्यटन व रेशमी साड़ी के लिए पहचानी जाने वाली चंदेरी इस बार भाजपा-कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा की सीट बन गई है। भाजपा से 72 वर्षीय जगन्नाथ सिंह रघुवंशी का नाम एक महीने पहले ही घोषित हो चुका है। कांग्रेस ने दो बार के विधायक गोपाल सिंह चौहान को ही फिर मैदान में उतारा है। परिसीमन के बाद वर्ष 2008 में अस्तित्व में आई चंदेरी सीट इसके पहले अशोकनगर और मुंगावली सीट का हिस्सा था। नई विधानसभा सीट बनने के बाद अब तक तीन बार चुनाव हुए। पहली बार भाजपा के राजकुमार सिंह यादव जीते। इसके बाद 10 साल से यहां कांग्रेस का कब्जा है।
चंदेरी विधानसभा में 2008 में भाजपा के राजकुमारसिंह यादव ने कांग्रेस के गोपालसिंह चौहान को 4548 वोट से हराया। तो वर्ष 2013 में कांग्रेस के गोपालसिंह चौहान ने भाजपा के राजकुमार सिंह यादव को 30318 वोट व वर्ष 2018 में भाजपा के भूपेंद्र द्विवेदी को 4175 वोट से हराकर जीत दर्ज की। यहां सबसे ज्यादा यादव, लोधी, रघुवंशी, ब्राह्मण व आदिवासी समाज के मतदाता हैं और यही चुनाव का परिणाम तय करते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने रघुवंशी समाज को इस बार मौका दिया है। अन्य समाजों के वोट हासिल करने के लिए भी दोनों दलों ने समाजों के साथ बैठकें की हैं।
विकास ही यहां का मुख्य मुद्दा-
ऐतिहासिक इमारतों, पर्यटन व चंदेरी साड़ी के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध चंदेरी में इस बार भी विकास ही मुख्य मुद्दा है। बॉलीवुड में क्रेज बना चुका चंदेरी कस्बा आज भी विकास का इंतजार कर रहा है। लोगों का कहना है कि हर बार ही इस क्षेत्र को विकास से वंचित रखा जाता है। इससे इस बार मतदाताओं में जिम्मेदारों की इस अनदेखी के चलते नाराजगी भी दिख रही है।
चंदेरी विधानसभा की स्थिति
वर्ष – विधायक – पार्टी
2008 – राजकुमारसिंह यादव – भाजपा
2013 – गोपालसिंह चौहान – कांग्रेस
2018 – गोपालसिंह चौहान – कांग्रेस
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