
अशोकनगर. जिले में सांठ कुप्रथा थमने का नाम नहीं ले रही। इसे स्थानीय बोलचाल में अटा-सटा भी कहा जाता है। कई बेटियों का भविष्य इस कुप्रथा की भेंट चढ़ गया है। ऐसी ही कहानी है जहादुरपुर क्षेत्र की 25 वर्षीय सपना (परिवर्तित नाम) की। विवाह ईसागढ़ के निकट जमडेरा गांव में 2014 में हुआ था।
शादी के समय दोनों परिवारों में तय हुआ कि सपना के बड़े भाई से उसकी होने वाली ननद का विवाह होगा। छह माह बाद ननद से उसके बड़े भाई की शादी कर दी गई। भाई मानसिक रूप सेअस्वस्थ है, तो विवाह के बाद पहली विदा में सपना की भाभी मायके गई तो नहीं लौटी। फलस्वरूप ससुराल बालों ने 2015 में सपना को भी निकाल दिया। तब सपना को पांच माह का गर्भ था।
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कई बार पंचायतें बैठीं, पर नहीं मिला न्याय
सपना मायके में रह रही है। इस दौरान कई बार पंचायतें बैठीं, लेकिन सपना को न्याय नहीं मिल सका। ससुराल पक्ष उसे साथ रखने को तैयार नहीं हुआ! वहीं पिछले साल कोरोना काल में सपना के पति की मौत हो गई। इसी के साथ सपना के पास ससुराल पहुंचने की उम्मीद भी खत्म हो गई। पिता आर्थिक रूप से कमजोर हैं. इसलिए छ वर्षीय बेटे को पालने सपना इंदौर में मजदूरी करने चली गई।
घटता लिंगानुपात भी एक वजह
ग्रामीण क्षेत्र नें घटते लिंगानुपात के कारण कुप्रथा का चलन बढ़ रहा है। शादियों में भले ही लेन देन की बचत हो जाती हो लेकिन कई बेटियां इस कुप्रथा की भेंट चढ़ जाती हैं जिले में लिंगानुपत 904 है यानि एक हजार पुरुषों पर 904 महिलाएं।
Published on:
02 Aug 2021 12:07 pm
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