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अशोकनगर

लीकेज में बहा कुंड का पानी तो पांच दिन बाद भी नहीं गलीं प्रतिमाएं

मिट्टी की प्रतिमाएं गलीं, लेकिन पीओपी की प्रतिमाओं का रंग भी नहीं हटा। अब पानी से बाहर पड़ी प्रतिमाएं। कुंड से उठाकर अब तालाब में प्रतिमाएं विसर्जित किए जाने से तालाब के पानी को नुकसान पहुंचाएंगी पीओपी की यह प्रतिमाएं।

अशोकनगरSep 27, 2018 / 01:32 pm

Arvind jain

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लीकेज में बहा कुंड का पानी तो पांच दिन बाद भी नहीं गलीं प्रतिमाएं

अशोकनगर. तुलसी सरोवर को पीओपी के प्रदूषण से बचाने के लिए विसर्जन कुंड तो बना दिया, जिसमें पानी भरकर शहर की प्रतिमाओं को भी विसर्जित करवा दिया गया। लेकिन लीकेज ने पूरी व्यवस्था बिगाड़ दी। नतीजतन कुंड में प्रतिमाएं सूखे में पड़ी हुई हैं और बच्चे अपनी-अपनी प्रतिमाओं को पांच दिन बाद कुंड से उठाकर तुलसी सरोवर के पानी में विसर्जित करने लगे हैं। इससे प्रतिमाएं फिर से सरोवर में पहुंचने से कुंड पर खर्च किए गए लाखों रुपए बेकार होते नजर आ रहे हैं।

गणेशोत्सव पर शहर में करीब एक सैंकड़ा स्थानों पर गणेशजी की झांकियां सजाई गई थीं, वहीं घरों पर भी गणेशजी की छोटी-छोटी प्रतिमाएं सजी थीं। घरों पर सजी इन प्रतिमाओं को लोगों ने 20 सितंबर को कुंड में विसर्जित कर दिया और झांकियों की प्रतिमाएं 23 सितंबर को विसर्जित की गईं। मिट्टी की प्रतिमाएं तो कुंड में गल चुकी हैं और लेकिन पीओपी की प्रतिमाएं कुंड में ही पड़ी हुई हैं। बुधवार दोपहर को पत्रिका ने जब कुंड की हकीकत जानी तो वहां पर सैंकड़ों प्रतिमाएं कुंड में सूखी जगह पर पड़ी हुई दिखीं।

वहीं पर बच्चे इन प्रतिमाओं को उठाकर तालाब के पानी में फैंकते दिखे। बच्चों ने बताया कि वह अपनी प्रतिमाओं को ढूंढकर तालाब में विसर्जित कर रहे हैं ताकि प्रतिमाएं बाहर न पड़ी रहें। इससे प्रतिमाएं पूर्व की तरह तुलसी सरोवर में ही पहुंचने लगी हैं, लेकिन इस पर न तो जिम्मेदारों का कोई ध्यान है और न हीं इन प्रतिमाओं को उठवाकर अन्य जगह विसर्जित करवाया जा रहा है।

सूखे में पड़ी प्रतिमाओं को देखकर लोगों में नाराजगी बढ़ती जा रही है और उनका कहना है कि देश के सभी शहरों में नदियों और तालाबों में ही प्रतिमाएं विसर्जित होती हैं, लेकिन अशोकनगर शहर में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने तालाब को प्रदूषित होने की बात कहकर कुंड बनवा दिया, लेकिन कुंड व्यवस्थित न होने से उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाई जा रही है।


शहरवासी बोले पहले से ही गंदा है सरोवर का पानी-
शहरवासियों का कहना है कि सरोवर का पानी मूर्ति विसर्जन की वजह से गंदा होना बताया जाता है, जबकि इसके प्रदूषित होने के कई अन्य बड़े कारण भी हैं। लेकिन उन कारणों पर प्रशासन कोई ध्यान नहीं देता है। वहीं इसे प्रदूषित होने से रोकने के भी कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं। इससे न तो इस तालाब के पानी को पीने में इस्तेमाल किया जाता है और न हीं सिंचाई में।

नवरात्रि पर दो फिट कम भरेगा कुंड-
कुंड की जहां दीवारें जहां बारिश में पहले से ही क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं, वहीं एक दीवार भी तिरछी होने लगी है। जिसके जल्दी ही गिरने की आशंका बनी हुई है। इसके अलावा दीवार का करीब दो फिट हिस्सा इस बार गिर गया है। इससे नवरात्रि के दौरान कुंड दो फिट कम ही भर पाएगा। इससे झांकी आयोजक भी नाराज हैं।

जिंद बाबा झांकी समिति के महेंद्र भारद्वाज का कहना है कि पहले नवरात्र पर सरोवर में ही झांकी विसर्जन की जाती थीं और ग्रामीण क्षेत्र से भी झांकी यहां आती थीं। लेकिन दो साल से सरोवर की वजाय कुंड में विसर्जन शुरू कराए जाने से अब शहर की करीब 25 प्रतिशत से ज्यादा झांकियों को विसर्जन के लिए गांव ले जाना पड़ता है और ग्रामीण क्षेत्रों में नदियों व तालाबों में विसर्जित करते हैं।

इन तीन कारणों से फेल हुई कुंड की व्यवस्था-
– बारिश से दीवार क्षतिग्रस्त होने के बाद मिट्टी से भरी सैंकड़ों बोरियां रखी गईं, लेकिन कुंड की दीवारों से लीकेज नहीं रुक सके और अब कुंड में नाममात्र का पानी भरा हुआ है।
– मरम्मत न कराए जाने की वजह से कुंड की अन्य दीवारें भी क्षतिग्रस्त हो गई हैं, इससे अब अन्य दीवारों से भी पानी का लीकेज हो रहा है और लगातार पानी बह रहा है।
– कुंड के फर्स पर किया सीमेंट कांक्रीट भी क्षतिग्रस्त हो चुका है, इससे कुंड में पानी नहीं रुक पा रहा है, इसके अलावा दीवार भी दो फिट टूट गई है, इससे कम पानी भरेगा।

ऐसे गंदा हो रहा तुलसी सरोवर का पानी-
– शहर के तीन नालों का पानी सरोवर में मिल रहा है। नालों का गंदा पानी मिलने की वजह से तुलसी सरोवर का लगातार प्रदूषित हो रहा है, लेकिन इसे रोकने पर ध्यान नहीं है।
– सरोवर में दिनभर वाहनों की धुलाई के अलावा अस्पतालों और टेंट के कपड़े भी धुलते रहते हैं, कपड़े धोने के लिए भारी मात्रा में कास्टिक सोड़ा का इस्तेमाल किया जाता है।
– सरोवर के पानी में ही लोग कचरा फैंकते रहते हैं और वहीं किनारे के पर भी कचरे के ढ़ेर लगा दिए जाते हैं, जो सरोवर में मिलकर पानी को गंदा बना रहे हैं।

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