scriptस्कूल बसों के ड्राइवर को भारी वाहन का पांच साल का अनुभव जरूरी | Instructions for checking of school buses given by SP | Patrika News
अशोकनगर

स्कूल बसों के ड्राइवर को भारी वाहन का पांच साल का अनुभव जरूरी

एसपी ने सभी थानों को दिए स्कूल बसों की जांच के निर्देश,- साथ ही एसपी ने हिदायत भी दी कि जांच के दौरान स्कूली बच्चों को कोई असुविधा नहीं होना चाहिए।

अशोकनगरJun 04, 2019 / 10:21 am

Arvind jain

news

स्कूल बस चलाने ड्राईवर को भारी वाहन का पांच साल का अनुभव जरूरी

अशोकनगर. स्कूल बस चलाने ड्राईवर को भारी वाहन चलाने का कम से कम पांच साल का अनुभव अनिवार्य है और यदि कोई ड्राईवर पूर्व में कभी यातायात नियमों के उल्लंघन का दोषी ठहराया जा चुका है तो वह स्कूल बस नहीं चला सकेगा। साथ ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा 20 नवंबर 1997 को जारी किए गए आदेश अनुसार स्कूल बसों में व्यवस्थाएं अनिवार्य रूप से हों। अब जिले में पुलिस द्वारा समय-समय पर स्कूल बसों की जांच की जाएगी।


बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को देखते हुए एसपी पंकज कुमावत ने जिले के सभी थाना प्रभारियों को स्कूल बसों की समय-समय पर जांच करने के निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए एसपी ने स्कूल बस चलाने के लिए ड्राईवर की पात्रता भी बताई है।

साथ ही बच्चों को स्कूल लाने व वापस घर छोडऩे जाते समय स्कूल बस में ड्राईवर के अलावा एक अन्य व्यक्ति और स्कूल शिक्षक मौजूद रहना अनिवार्य है। साथ ही एसपी ने हिदायत भी दी है कि जांच के दौरान विशेष रूप से ध्यान रखा जाए कि बच्चों को असुविधा न हो, न ही बस संचालकों को कार्रवाई से बचने के लिए व पालकों के परेशान करने का मौका मिलना चाहिए।

घटना होने पर पुलिस को दोषी मानते हैं आमजन-
एसपी ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि स्कूली वाहनों की दुर्घटनाओं का खामियाजा मासूम बच्चों व उनके परिजनों को उठाना पड़ता है। अक्सर इस प्रकार की घटनाएं घटित होने पर आमजन पुलिस को दोषी मानता है और पुलिस को जनता के आक्रोश का सामना करना पड़ता है। जबकि इन घटनाओं में स्कूली बच्चों का कोई दोष नहीं होता, बल्कि वाहन मालिक, ड्राईवर, परिचालक, परिजन, स्कूल प्रशासन और कुछ हद तक पुलिस विभाग व परिवहन विभाग की सीधे तौर पर कमियां उजागर होती हैं।


स्कूल बसों में अनिवार्य रूप से यह हों व्यवस्था-
– बस के आगे व पीछे बड़े अक्षरों में स्कूल बस लिखा जाए, यदि किराए की है तो उस पर ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा जाए।
– निर्धारित सीटों से अधिक संख्या में बच्चे न बिठाए जाएं, बस्ते वपानी बॉटल रखने सीटों के नीचे जगह की व्यवस्था हो।
– प्रत्येक बस में फस्र्ट एड बॉक्स अनिवार्य रूप से हो, खिड़कियों में ऊपर की वजाय साइड ग्रिल वाली पट्टियां फिट कराएं।
– प्रत्येक बस में अग्निशमन यंत्र हो, दरवाजे पर सुरक्षित कुंदी हो। स्कूल का नाम और टेलीफोन नंबर अवश्य दर्ज करें।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो