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अशोकनगर

आत्म हत्या किसी भी समस्या का समाधान नही : मुनिश्री निर्वेगसागर

– श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान के पांचवे दिन 128 अघ्र्य किए समर्पित

अशोकनगरOct 10, 2019 / 12:11 pm

Arvind jain

बिना ब्रेक की गाड़ी आपको दुख ही देगी: मुनिश्री निर्वेगसागर

बिना ब्रेक की गाड़ी आपको दुख ही देगी: मुनिश्री निर्वेगसागर

अशोकनगर। भक्ति को प्रदर्शित करते हुए सिद्ध प्रभु की आराधना चल रही है और सिद्धत्व को हम कैसे प्राप्त करें यह प्रभु मुख से सुन रहे है। आचार्यश्री ने कहा है कि सयंम की राह चलो, हीरा बनना है तो राही बनना होगा राही ही तो हीरा है, उक्त उदगार मुनिश्री निर्वेगसागरजी महाराज ने श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान में शामिल श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहे।

जितना जीवन संयमी होगा उतना जीवन सुखी होगा
उन्होंने बताया कि जितना जीवन संयमी होगा उतना जीवन सुखी होगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि दस लाख की गाड़ी बहुत अच्छी है, लेकिन गाड़ी में ब्रेक नहीं है तो ऐसी गाड़ी को खरीदना चाहिए वह गाड़ी आपको सुख देगी या दुख, वह गाड़ी दुख ही देगी। उसी प्रकार धर्म करना बहुत सरल है पाप करना बहुत कठिन है। हिंसा नहीं करना, झूंठ नहीं बोलना, चोरी नहीं करना, कुशील पाप नहीं करना, परिग्रह नहीं करना बहुत सरल है

 

मांसाहार का दोषी ही माना जाता
व्यक्ति पाप करने से नहीं डर रहा। उन्होंने बताया कि हमारे जैन भवन बनाया जा रहा है वह जैन धर्म की धरोहर है उसका उपयोग जैनत्व के संस्कार की सुरक्षा के लिए हो न कि धन कमाने के लिए। पानी जो छानकर पीता है वह मांसाहार तो कर ही नहीं सकता, लेकिन जिन बर्तनों में मांसाहारी भोजन बना है उन बर्तनों में बने भोजन का उपयोग करना मांसाहार का दोषी ही माना जाता है।

आत्म हत्या किसी भी समस्या का समाधान नही
उन्होंने बताया कि शराब नाली के पानी से भी ज्यादा बुरी है उससे जीवन बर्बाद हो सकता है। उन्होंने बताया कि तीसरा संयम कुशील पाप कहलाता है। जबतक विवाह नहीं होगा कोई भी अनैतिक कार्य नहीं करेगें। अपनी कुल परम्परा मर्यादा का ध्यान रखते हुए अपनी कुल परम्परा में विवाह करो। उन्होंने बच्चों को सुसाइड से बचने के लिए कहा। मुनिश्री ने कहा कि आत्म हत्या किसी भी समस्या का समाधान नही है।


हर साल बच्चों में आत्महत्या के केस बढ़ रहे है इसलिए बच्चों को प्रतिस्पर्धा से बचाओ। क्षुल्लकश्री देवानंद सागरजी महाराज ने बताया कि भक्ति मुक्ति का कारण होती है। जिनेन्द्र भगवान की भक्ति सिद्धों की आराधना दुर्गति से बचाने वाली है। आत्मा को पुण्य से पूरित करने वाली है, परम्परा से मुक्ति को देने वाली है। आत्म ज्ञान के बिना जीव कभी सुखी नहीं हो सकता।


पंचम महापूजा के 128 अघ्र्य किए समर्पित
श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान के पांचवे दिन ब्रह्मचारी संजीव भैया कटंगी के निर्देशन में भक्तों ने विधान की पंचम महापूजा के 128 अघ्र्य समर्पित किए। इस दौरान इंद्र इंद्राणियों ने भगवान की आराधना नृत्य गायन करते हुए की। विधान के मुख्य पात्रों के अलावा सभी इंद्र इंद्राणियों ने मंडल पर श्रीफल समर्पित किए।

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