पुल पर अब हो सकता है इंटरनेट का इस्तेमाल
पुल से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि, “विशेषज्ञ और कर्मचारी एक जटिल निर्माण माहौल एवं पुल के लिए 4जी समाधान मुहैया करने के लिए ऑप्टिकल फाइबर की कमी जैसी समस्याओं से पार पा चुके हैं और भविष्य में इसे 5जी सेवा में उन्नत करने की तैयारी कर रहे हैं।” निर्माताओं के मुताबिक, विशेषज्ञों व कर्मियों ने ऑप्टिकल फाइबर के दायरे को 20 किलोमीटर तक बढ़ा दिया है, ताकि पुल पर पूरे नेटवर्क सिग्नल को सुनिश्चित किया जा सके।
पुल की ये है खासियत
55 किलोमीटर लंबे इस पुल को बनाने के लिए 2009 में काम शुरू हुआ था। पुल का निर्माण कार्य 31 दिसबंर 2017 को पूरा हुआ। इसे बनाने में एफिल टावर के मुकाबले 60 गुना ज्यादा स्टील खर्च हुआ है। दुनिया के इस सबसे लंबे पुल पर पैदल सवार नहीं चल सकेंगे। चीन से जाने वाली कार को हांग कांग में घुसने से पहले रोड पर अपनी साइड बदलनी होगी। क्योंकि हांगकांग में भारत की तरह ट्रैफिक बायीं तरफ चलता है।