ऑस्ट्रेलियाई चुनाव में बड़ा उलटफेर: सत्तारूढ़ लिबरल गठबंधन की जीत, लेबर पार्टी नेता बिल शॉर्टन का इस्तीफा चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर बना संकट का कारण पाकिस्तान में चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसी) को लेकर भारी असंतोष है। चीन की सीपीईसी परियोजना पाकिस्तान के अलगाववादियों के निशाने पर आ गई है। बीते सप्ताह योजना को निशाना बनाते हुए कई आत्मघाती हमलों को अंजाम दिया गया। इसी सप्ताह पाकिस्तान के समुद्री तट पर ग्वादर के नजदीक लग्जरी पार्ल कॉन्टिनेंटल होटल पर आत्मघाती हमला हुआ। यह अरबों डॉलर की लागत से बन रहे चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) पर बड़े हमले का ताजा उदाहरण है। सीपीईसी चीन के बेल्ट ऐंड रोड का सबसे अहम हिस्सा है जो शिनजियांग प्रांत को ग्वादर से जोड़ेगा। इससे बीजिंग की अरब सागर तक पहुंच हो जाएगी। पाकिस्तानी प्रशासन ग्वादर की सुरक्षा में लगातार चौकस रहता है। मत्स्यपालन के लिए मशहूर रहे ग्वादर को अब अगले दुबई के तौर पर देखा जा रहा है।
पाकिस्तान में भारतीय चुनाव परिणामों का बेसब्री से इंतजार, दोनों देशों के रिश्तों में क्या होगा बदलाव! अलगाववादियों और धार्मिक पंथों के संघर्ष से जूझ रहा पाक के सबसे बड़े और गरीब प्रांत बलूचिस्तान में सीपीईसी की अधिकतर योजनाओं पर काम होना है, जो अलगाववादियों और धार्मिक पंथों के संघर्ष से जूझ रहा है। हाल ही में हुए हमले की जिम्मेदारी अलगाववादी संगठन बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) ने ली है। बीएलए के प्रवक्ता ने बताया कि ग्वादर बंदरगाह की तरफ स्थित होटल में आने वाले चीन और पाकिस्तानी निवेशक हमारा निशाना थे। मीडिया को दिए संदेश में कहा गया कि उन्होंने बलूचिस्तान में चीन को अपनी परियोजनाओं को बंद करने और बलूच लोगों के दमन को लेकर चेतावनी दी थी। अगर चीन ऐसा नहीं करता है तो हम और हमले करते रहेंगे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बीएलए ने पाकिस्तान में चीनी नागरिकों पर पहले भी हमले किए हैं। अब ये अलगाववादी कड़ी सुरक्षा वाले और खास महत्व वाले चीनी लक्ष्यों पर हमला करने कर रहे हैं।
बीजिंग दूतावास पर बड़ा हमला किया गया था अलगाववादी समूह द्वारा पिछले वर्ष कराची में बीजिंग दूतावास पर बड़ा हमला किया गया था। बलूच अलगाववादियों के लिए यह परियोजना संघर्ष तेज करने के लिए एक बड़ी वजह बन गई है। बलूचिस्तान का इतिहास लंबे समय से संघर्ष से भरा रहा है। बलूच पाकिस्तान से स्वायत्तता और संसाधनों पर अपने हक की मांग करते रहे हैं। वर्षों तक पाकिस्तान की सेना ने बलूच अलगाववादियों का दमन किया। इस दौरान मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन के मामले भी सामने आए। दूसरी तरफ चीनी निवेश की सुरक्षा में पाकिस्तान की प्रतिबद्धता और इस इलाके में बढ़ती सैन्य मौजदूगी की वजह से बलूचों के मन में असंतोष है। अब बलूच अलगाववादी अपना विरोध जताने के लिए आत्मघाती हमलों का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। राष्ट्रवादी नेता जन मोहम्मद बुलेदी ने कहा कि यह हमारे संघर्ष की लड़ाई है। इसे जिहाद का नाम नहीं दिया जाना चाहिए। हम पाकिस्तान से अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं।
अमरीका ने हवाई जहाजों के लिए जारी की चेतावनी, खाड़ी के ऊपर उड़ान भरना पड़ सकता है भारी असली दुश्मन अब भी पाकिस्तान है राष्ट्रवादी नेता जन मोहम्मद बुलेदी ने कह कि जब स्थानीय विद्रोह करते हैं तो उनका अपहरण कर लिया जाता है, उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। कई लोगों को गायब भी कर दिया जाता है। अत्याचार इतना चरम पर है कि विद्रोह करने वालों को बेदर्दी से मार दिया जाता है। कई बार बिना सिर की लाशें मिलती हैं। बलूचिस्तान में युवा आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहे हैं। बुलेदी का कहा है कि अब चीनी निवेश की वजह से बलूच अलगाववादी पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींच सकते हैं। बुलेदी ने कहा कि चीन के खिलाफ बलूचों में गुस्सा सही है लेकिन उनका असली दुश्मन अब भी पाकिस्तान है। बीजिंग सार्वजनिक तौर पर पाकिस्तान के बलूचों के खिलाफ दमन का समर्थन करता है। उन्होंने बताया कि पार्ल कॉन्टिनेंटल पर हुए हमले पर चीनी मीडिया में कई खबरें प्रकाशित हुईं लेकिन चीनी निवेशकों को निशाना बनाए जाने की बात को दबाया गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार चीनी अधिकारी निर्वासित बलूच राष्ट्रवादियों को घर लाने के बदले उनसे मदद मांग रहे हैं। बलूच नेता ने कहा कि उनकी जानकारी के अनुसार चीनी अधिकारी अब भी अमरीका, ब्रिटेन और दूसरी यूरोपीय देशों में निर्वासित करीब आधा दर्जन बलूच राष्ट्रवादियों के संपर्क में हैं।
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