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बांग्लादेशः जमात नेता कासिम अली को युद्ध अपराधों के लिए दी गई फांसी

सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में अली की फांसी की सजा को
बहाल रखा था, अली समाचार पत्र के मालिक और जमात ए इस्लामिक को
आर्थिक सहायता देने वालों में से रहे थे

Sep 04, 2016 / 10:46 am

Abhishek Tiwari

Mir Quasem Ali Hanged In Bangladesh

Mir Quasem Ali Hanged In Bangladesh

ढाका। बांग्लादेश ने देश की सबसे बड़ी इस्लामी पार्टी जमात-ए-इस्लामी के नेता मीर क़ासिम अली को फांसी दे दी है। मीर कासिम अली को युद्ध अपराधों का दोषी पाया गया था। युद्ध अपराधों के लिए दोषी पाए जाने के बाद फांसी पर चढ़ाए गए मीर क़ासिम अली बांग्लादेश के छठे बड़े नेता हैं। मौजूदा सरकार द्वारा गठित एक विशेष अपराध न्यायालय ने उन्हें पैंतालीस साल पहले बांग्लादेश की आज़ादी की लड़ाई के दौरान किए गए युद्ध अपराधों के लिए दोषी क़रार दिया था।

विपक्षियों का आरोप है कि सरकार अपने विरोधियों के खात्मे के लिए अदालत की सहायता ले रही है। इन आरोपों को नकारते हुए प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार का कहना है कि युद्ध अपराधियों को सज़ा देने से देश को अपने इतिहास के साथ न्याय करने में मदद मिलेगी।

गौरतलब हो कि बंगलादेश की सर्वोच्च अदालत ने जमात ए इस्लामी पार्टी के नेता मीर कासिम अली को 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान के युद्धापराध के लिए दी गई फांसी की सजा के विरुद्ध दाखिल उनकी अंतिम अपील को खारिज कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में 63 वर्षीय मीर कासिम अली की फांसी की सजा को बहाल रखा था। मीर कासिम अली समाचार पत्र के मालिक और जमात ए इस्लामिक को आर्थिक सहायता देने वालों में से रहे थे। उनके विरुद्ध पाकिस्तान से युद्ध के समय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वालों को यातनायें देने तथा उन्माद फैलाने का आरोप था।

प्रधान न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार सिन्हा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने अदालत कक्ष में एक शब्द में ही फैसला सुना दिया। शीर्ष न्यायाधीश ने 64 वर्षीय अली की अपील के बारे में कहा, खारिज। प्रधान न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार मुस्लिम बहुल देश में इस पद पर आसीन होने वाले पहले हिंदू हैं।

अली को जमात का प्रमुख वित्त पोषक माना जाता है। जमात 1971 में पाकिस्तान से बांग्लादेश की आजादी के खिलाफ था। अली मीडिया से भी जुड़ा रहा है। शीर्ष अदालत की ओर से पूरा फैसला प्रकाशित किए जाने और अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण की ओर से उसके खिलाफ छह जून को मौत का वारंट जारी किए जाने के बाद अली ने समीक्षा याचिका दायर की थी।

उसे लोगों को यातना देने वाला अल बदर नाम का मिलिशिया संगठन चलाने का दोषी करार दिया गया था। इस संगठन ने अनेक लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। ऐसा कहा जाता है कि पाकिस्तानी सेना और उसके स्थानीय सहयोगियों ने इस युद्ध में 30 लाख लोगों की हत्या कर दी थी।

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