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फांसी के 87 साल बाद बेगुनाह साबित होंगे शहीद भगत सिंह! लाहौर हाई कोर्ट में 5 सितंबर को सुनवाई

पाकिस्तान की भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन के प्रधान वकील इम्तियाज रशीद कुरैशी वहां के हाई कोर्ट में इस केस की लड़ाई लड़ रहे हैं।

Aug 30, 2018 / 03:11 pm

Shweta Singh

bhagat singh was not guilty hearing in lahore court on 5 september

बेगुनाह साबित होंगे शहीद भगत सिंह! लाहौर हाई कोर्ट में 5 सितंबर को सुनवाई

लाहौर। शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को न्याय दिलाने की कोशिश में जुटे पाकिस्तान की भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन को कोर्ट को आगामी सुनवाई के लिए कोर्ट से 5 सितंबर मिली है। इस फाउंडेशन के प्रधान वकील इम्तियाज रशीद कुरैशी वहां के हाई कोर्ट में इस केस की लड़ाई लड़ रहे हैं।

गैर संवैधानिक तरीके से सुनाई गई थी फांसी

इस केस में ब्रिटिश सरकार की ओर से इन तीन शहीदों को फांसी देने के लिए जो गैर संवैधानिक हथकंडा अपनाकर उन्हें आरोपी बनाया गया था उसके खिलाफ पाकिस्‍तान के लाहौर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। जिसमें फाउंडेशन इन तीन शहीदों को निर्दोष साबित करने की लंबे समय से भरसक प्रयास में जुटी हुई है। इम्तियाज रशीद कुरैशी का कहना है कि ब्रिटिश सरकार ने ज्‍यूडिशियल सिस्‍टम की आड़ में गैर संवैधानिक तरीके से शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी की सजा सुनाई थी।

भगत सिंह को मिले देश का सर्वोच्च वीरता पदक

यही नहीं इम्तियाज का ये भी मानना है कि भगत सिंह की न्यायिक हत्या की गई थी। इम्तियाज का कहना है कि वे सभी निर्दोष थे। उनकी ये भी मांग है कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह को देश का सर्वोच्च वीरता पदक ‘निशान हैदर’ दिया जाना चाहिए।

फांसी के 83 साल बाद दायर हुई थी याचिका

साल 2013 की 24 मई में पहली बार सुनवाई किए गए इस मुकदमे को भगत सिंह की फांसी के करीब 83 साल बाद दायर किया गया था। इम्तियाज की इस मामले में दलील है जिस मामले में भगत सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई उसके एफआईआर में उनके नाम का जिक्र तक नहीं था। यही नहीं उनके मुताबिक इस मामले में किसी की गवाही तक दर्ज नहीं की गई थी। मामले की सुनवाई के दौरान इम्तियाज ने कोर्ट के सामने ये तर्क भी रखा कि खुद पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने भी भगत सिंह को श्रद्धांजलि दी थी। उनका कहना है कि भगत सिंह हमारे लिए भी किसी हीरो से कम नहीं हैं।

सांडर्स नाम के अफसर की हत्या के मामले हुई थी फांसी

गौरतलब है कि 28 सितंबर 1907 में पाकिस्तान में जन्मे और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायक माने जाने वाले भगत सिंह को ब्रिटिश पुलिस के सांडर्स नाम के अफसर की हत्या के मामले 23 मार्च 1931 को फांसी दी गई थी।

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