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वैज्ञानिकों का दावा- अब खेती के लिए जमीन की जरूरत नहीं, हवा के जरिए तैयार होगी रोटी

वैज्ञानिकों का दावा है कि आने वाले कुछ वर्षों में इंसानों को खेती के लिए जमीन की जरूरत नहीं होगी। सिर्फ कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग कर औद्योगिक तरीके से भोजन का उत्पादन किया जा सकेगा। यही नहीं वैज्ञानिकों की मानें रोटी भी हवा के जरिए पकेगी।

Oct 13, 2021 / 12:16 pm

Ashutosh Pathak

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नई दिल्ली।

चीन के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि अगले कुछ वर्षों में खेती बिना जमीन के होगी। यही नहीं वैज्ञानिकों की मानें रोटी भी हवा के जरिए पकेगी।

चाइनीज साइंस एकेडमी से जुड़े वैज्ञानिकों के अनुसार, हवा के जरिए रोटी बनाई जा सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले कुछ वर्षों में इंसानों को खेती के लिए जमीन की जरूरत नहीं होगी। थिएनचिन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल बायोलॉजी की एक रिसर्च टीम ने दुनिया में पहली बार कार्बन डाइऑक्साइड के जरिये स्टार्च का संश्लेषण किया है।
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वैज्ञानिकों का दावा है कि इससे भविष्य में मनुष्यों को खेती की भूमि का उपयोग करने की जरूरत नहीं होगी। सिर्फ कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग कर औद्योगिक तरीके से भोजन का उत्पादन किया जा सकेगा।
अंतरराष्ट्रीय एकेडमिक जर्नल साइंस में प्रकाशित चीनी वैज्ञानिकों के इस पेपर में बताया गया है कि 3 क्यूबिक मीटर रिएक्टर का सालाना स्टार्च उत्पादन 1 हेक्टेयर मक्के के खेत के बराबर है। अगर बड़े पैमाने पर औद्योगिक उत्पादन को साकार किया जा सकता है, तो मानव जाति को खाने की कमी की चिंता नहीं होगी। चीन का दावा है कि यह उपलब्धि वास्तव में नोबेल पुरस्कार के महत्व को पार कर गई है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि ऑक्सीजन के अलावा हवा में सबसे अधिक पदार्थ कार्बन डाइऑक्साइड है। चीनी वैज्ञानिक स्टार्च बनाने वाली प्रतिक्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करते हैं। दूसरे शब्दों में, भविष्य में हम प्रतिदिन जो रोटी खाते हैं, वह हवा से बनाई जा सकेगी। खेत में मक्के के एक अंकुरण से बढ़ने में कई महीने लगते हैं, जबकि सिंथेटिक स्टार्च में केवल कुछ घंटे लगते हैं। अगर इंसान भोजन के उत्पादन के लिए औद्योगिक तरीकों का अहसास कर सकता है, तो मानव के लिए अनाज और चारा आदि की आपूर्ति खूब रहेगी।
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चीनी वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर ऐसा होने लगता है तो लोगों को कृषि भूमि के बड़े हिस्से पर खेती करने की आवश्यकता नहीं होगी, पशुधन को बढ़ाने की लागत भी बहुत कम हो जाएगी और मौजूदा खेतों को सुन्दर सुंदर घास के मैदानों और जंगलों में बदला जाएगा। इससे कार्बन उत्सर्जन और ग्रीनहाउस प्रभाव की समस्याओं को भी कम किया जाएगा। साथ ही, मानव जाति का रहने का वातावरण अब की तुलना में सैकड़ों गुना बेहतर होगा।
स्टार्च सिर्फ एक प्रकार का भोजन नहीं, बल्कि एक उच्च आणविक कार्बोहाइड्रेट भी है। स्टार्च सभी अनाजों में 80 प्रतिशत से अधिक कैलोरी प्रदान करता है और स्टार्च भी एक महत्वपूर्ण औद्योगिक कच्चा माल है। औद्योगिक तरीकों से स्टार्च बनाने के लिए विभिन्न देशों के वैज्ञानिकों की लंबी अवधि की खोज है।
अभी हम हर साल दसियों अरबों टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करते हैं और परिणामी ग्रीनहाउस गैसें सभी देशों की सरकारों के लिए परेशानी का विषय बन गई हैं। यदि कार्बन डाइऑक्साइड को स्टार्च में परिवर्तित किया जा सके, तो यह न केवल ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को कम कर सकेगा बल्कि, 10,000 से अधिक वर्षों से चली आ रही कृषि रोपण पद्धति को भी पूरी तरह से बदलेगी।

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