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इराक में शिया धार्मिक नेता मुक्तदा अल सद्र बन सकते हैं नए प्रधानमंत्री, वोटों की गिनती में अभी सबसे आगे

Published: Oct 13, 2021 09:52:59 am

Submitted by:

Ashutosh Pathak

अब तक के नतीजों से इराक़ की राजनीति में बड़ी हलचल नज़र आ रही है। सभी बड़े गठबंधनों के वोट शेयर के प्रतिशत में भारी गिरावट दर्ज की गई है। माना जा रहा है कि प्रगति और सुलह को लेकर बनाया गया गठबंधन इस चुनाव में सबसे प्रभावशाली रहा। सुन्नी गठबंधनों ने इसी मुद्दे पर चुनाव लड़ा था। चुनाव नतीज़ों के सामने आने पर मुक्तदा अल सद्र ने कहा कि आज मिलिशिया पर जीत हासिल करने का दिन है‌।
 

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नई दिल्ली।

इराक में शिया धार्मिक नेता मुक्तदा अल सद्र का प्रधानमंत्री बनना तय माना जा रहा है। गत रविवार को हुए संसदीय चुनाव में मुक्तदा अल सद्र की पार्टी जीत की ओर आगे बढ़ रही है।
वोटों की गितनी के ये आंकड़े देश के चुनाव आयोग की ओर से जारी किए गए हैं। इसके मुताबिक़ मुक्तदा की पार्टी 73 सीटों के साथ सबसे आगे है और दूसरे नंबर पर 38 सीटों के साथ मुहम्मद अल हलबोसी की पार्टी है। वहीं, 37 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर स्टेट ऑफ लॉ गठबंधन है। इराक में कुल 329 संसदीय सीटें हैं।
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अब तक आए नतीजों के मुताबिक़ हदी अल-अमीरी के गठबंधन अल-फतह को बड़ा नुकसान होता दिख रहा है. इस गठबंधन को इस बार सिर्फ 14 सीटें मिली हैं। वहीं, साल 2018 के चुनाव में इसे 45 सीटें मिली थीं।
अब तक के नतीजों से इराक़ की राजनीति में बड़ी हलचल नज़र आ रही है। सभी बड़े गठबंधनों के वोट शेयर के प्रतिशत में भारी गिरावट दर्ज की गई है। माना जा रहा है कि प्रगति और सुलह को लेकर बनाया गया गठबंधन इस चुनाव में सबसे प्रभावशाली रहा। सुन्नी गठबंधनों ने इसी मुद्दे पर चुनाव लड़ा था। चुनाव नतीज़ों के सामने आने पर मुक्तदा अल सद्र ने कहा कि आज मिलिशिया पर जीत हासिल करने का दिन है‌। उन्होंने कहा कि मिलिशिया को खत्म करने और हथियारों को देश को सौंपने का समय आ गया है। लोग भारी संख्या में इस जश्न को मनाने के लिए जुटें लेकिन इस जश्न में हथियारों की कोई जगह नहीं होगी।
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शुरुआती रूझान बताते हैं कि जो उम्मीदवार साल 2019 में सुधारों के पक्ष में किए गए प्रदर्शनों से उभर कर सामने आए, उन्हें जीत या बढ़त मिली है। मुक्तदा अल सद्र लोकप्रिय और सत्ता में दमखम रखने वाले धार्मिक नेता रहे हैं।
अमरीकी हमले के बाद उन्हें इराक की सत्ता में किंगमेकर माना जाता रहा है। वे ईरान और अमरीका किसी की भी ओर से इराक में दखलंदाजी के विरुद्ध रहे हैं। वर्ष 2003 में उन्होंने अमेरिका के विरुद्ध हथियार उठाया था।
इराक में साल 2019 में भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और अराजकता के विरोध में हुए प्रदर्शनों के बाद ये पहले आम चुनाव हैं। ये चुनाव अगले साल होने थे लेकिन देश में बढ़ते प्रदर्शनों को देखते हुए इसे तय वक्त से छह महीने पहले ही कराया गया। इन प्रदर्शनों में सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं।

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