मानवाधिकार समूह असिस्टेंस एसोसिएशन फॉर पॉलिटिकल प्रिजनर्स के मुताबिक, बीते करीब दो महीने से म्यांमार में सेना की हिंसक कार्रवाई में 46 बच्चों की भी मौत हुई है। वहीं, करीब 2,751 लोगों को हिरासत में लिया गया है।
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देश में फिर से लोकतंत्र बहाल करने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों को सेना डरा-धमका रही है और कई जगहों पर हिंसका कार्रवाई भी कर रही है। ऐसे में प्रदर्शनकारियों पर गिरफ्तारी व हिंसा का डर साफ-साफ देखा जा सकता है।
बता दें कि एक फरवरी को म्यांमार की सेना ने तख्तापलट करते हुए म्यांमार की सर्वोच्च नेता आंग सान सू की समेत उनकी पार्टी के कई नेताओं को हिरासत में ले लिया गया। इसके बाद से म्यांमार में लगातार व्यापक प्रदर्शन हो रहे हैं। पूरी दुनिया में म्यांमार की सेना के इस हरकत की निंदा की गई और अपील की गई है कि फिर से लोकतंत्र बहाल करने की प्रक्रिया शुरू की जाए।
थाइलैंड की सीमा पर हवाई हमला
म्यांमार की सेना ने थाइलैंड की सीमा पर हवाई हमले करते हुए जातीय अल्पसंख्यक समूह को निशाना बनाया। वहीं जातीय अल्पसंख्यक विद्रोही समूह का प्रतिनिधित्व करने वाले कारेन नेशनल यूनियन ने थाईलैंड की सीमा पर बमबारी और हवाई हमलों की निंदा की है। इन हमलों में बच्चों व विद्यार्थियों समेत कई अन्य लोगों की भी मौत हुई है। इस हमले में स्कूलों, आवासीय घरों और गांवों को भारी नुकसान पहुंचा हैं।
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प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि शुक्रवार की देर रात बिना यूनिफॉर्म पहने सशस्त्र पुलिस ने पांच लोगों को हिरासत में ले लिया। इस क्षेत्र में काम करने वाली एक राहत एजेंसी फ्री बर्मा रेंजर्स के मुताबिक, 27 मार्च के बाद से कारेन के नियंत्रण वाले इलाकों में 12 से अधिक नागरिक मारे गए हैं, जबकि 20 हजार से अधिक विस्थापित हुए हैं। बता दें कि इससे पहले बीते सप्ताह कारेन क्षेत्र में ही सेना के हवाई हमलों के बाद से तीन हजार से अधिक लोग भागकर थाइलैंड जाने को विवश हुए थे।