कोर्ट ने दी थी जांच की अनुमति
इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) ने 9 फरवरी को एनएबी की शक्तियों को फिर से परिभाषित करते हुए ब्यूरो को पूर्व सैन्य व्यक्तियों, खास तौर से सेवानिवृत्त जनरलों की जांच की अनुमति दी और पद पर रहते हुए मुशर्रफ के कथित भ्रष्टाचार की जांच का निर्देश दिया। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, लेफ्टिनेंट कर्नल इनामुर रहीम (सेवानिवृत्त) ने 2014 में कथित तौर पर मुशर्रफ के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था और जांच की मांग को लेकर आईएचसी का दरवाजा खटखटाया था। अपनी शिकायत में याचिकाकर्ता ने एनएबी से मुशर्रफ की तरफ से नामांकन पत्र में घोषित की गई संपत्तियों की जांच की मांग की, जो कि उनकी ज्ञात आय के स्रोतों से परे है।
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पद का किया था गलत इस्तेमाल
परवेज मुशर्रफ ने 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को सत्ता से बेदखल कर दिया था। शिकायत करने वाले रहीम ने दावा किया है कि मुशर्रफ ने सेना के प्रमुख के साथ ही साथ पाकिस्तान के राष्ट्रपति के तौर पर अपनी शपथ का उल्लंघन किया। शपथ के अनुसार वह देश की रक्षा और नागरिकों की सुरक्षा के प्रति वचनबद्ध थे। रहीम ने कहा कि मुशर्रफ ने अपनी किताब लाइन आफ फायर में खुद लिखा है कि ‘उन्होंने धन कमाने के लिए बड़ी संख्या में लोगों को अमरीका के हवाले किया था।