रानी मां ने कहा- ‘बौद्ध धर्म के आने के बाद, सबसे चर्चित गुरू पद्मसंभव सहित भारत के कई बौद्ध आचार्य भूटान की यात्रा पर आए। भगवान बुद्ध और गुरू पद्मसंभव की शिक्षाएं भूटान के हर नागरिक के जीवन को लगातार प्रेरित करती आ रही हैं। उनकी शिक्षाओं का असर आज तक भूटान के लोगों के जीवन, दिनचर्या और सांस्कृति पर देखा जा सकता है।’
वांगचुक ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि बौद्ध धर्म हमारी साझा आध्यात्मिक धरोहर है जो हमारे सालों पुराने संबंधों में बिना किसी परिवर्तन के निरंतर बनी हुई है।’ उन्होंने कहा कि साझा सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक धरोहरों की समृद्ध विरासत से भारत और भूटान के बीच संबंध और मजबूत होते हैं। इन संबंधों में दरार की आने वाले लंबे समय तक कोई संभावना नहीं है।
रानी मां ने कहा कि- ‘भूटान और भारत के लोगों के लिए यह अत्यधिक संतोष और खुशी का विषय है कि दोनों देशों के बीच शानदार और असाधारण दोस्ती है। ऐसी मित्रता, जिसमें अपार विश्वास, सदभावना, समझ और आपसी लाभकारी सहयोग शामिल है।’ उन्होंने उस वक्त को याद किया, जब भूटान के तीसरे नरेश और भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भारत-भूटान संबंधों की नींव रखी थी।