बता दें कि मुस्लिम बहुल देश बांग्लादेश में काफी समय से धर्मनिरपेक्ष ब्लॉगरों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर हमले थमे हुए थे, लेकिन शाहजहां बच्चू की हत्या के बाद से स्थिति और खराब हो गई है।
धर्मनिरपेक्ष लेखक थे शाहजहां बच्चू आपको बता दें कि शाहजहां बच्चू एक धर्मनिरपेक्ष लेखक थे और ‘बिशाका प्रोकाशोनी’ के प्रकाशक भी थे। शाहजहां बच्चू पर मुंशीगज जिले में उनके गांव काकालडी में पांच अज्ञात हमलावरों ने हमला किया और उनकी हत्या कर दी।
पिता के आंसूओं से भीग गई मातम की खामोशी दुकान से घसीटकर गोली मारी खबर है कि बच्चू अधिकतर कविताओं की किताबें छापते थे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बच्चू शाम को इफ्तार पार्टी के बाद से अपने घर के पास की दुकान में दोस्तों से मिलने गए थे, उसी दौरान दो बाइकों पर पांच हमलावर आए और दुकान के बाहर देशी बम फेंक दिया जिससे वहां पर अफरा-तफरी मच गई। उसके बाद हमलावर बच्चू को दुकान से घसीटकर बाहर लाए और ताबड़तोड़ गोलियां बरसाना शुरू कर दिया।
इस्लामिक चरमपंथियों पर शक हालांकि अभी तक किसी भी ग्रुप ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है लेकिन कयास लागाए जा रहे हैं कि हमले में इस्लामिक चरमपंथियों का हाथ हो।बताया जा रहा है कि धर्मनिरपेक्ष विचारों के समर्थन के लिए बच्चू को पहले भी धमकियां मिली थीं।
2015 में भी हुई थी ऐसी वारदात गौरतलब है कि इससे पहले भी 26 फरवरी , 2015 को बांग्लादेश में लेखक और ब्लॉगर अभिजित रॉय की हत्या कर दी गई थी। जिसके बाद से धर्मनिरपेक्ष लेखकों और ब्लॉगरों की सुरक्षा पर सवाल उठने लगे।