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अयोध्या की परंपरा देखना चाहती है दुनिया, विकास नही : डॉक्टर मनोज दीक्षित

अवध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति ने अयोध्या की विकास की योजना पर संरक्षण की रखी राय

अयोध्याMar 07, 2021 / 08:44 pm

Satya Prakash

अयोध्या की परंपरा देखना चाहती है दुनिया, विकास नही : डॉक्टर मनोज दीक्षित

अयोध्या की परंपरा देखना चाहती है दुनिया, विकास नही : डॉक्टर मनोज दीक्षित

पत्रिका न्यूज़ नेटवर्क
अयोध्या. राम नगरी अयोध्या को विकसित किए जाने से पहले संरक्षित किए जाने का प्रस्ताव सामने आया है दरसल अयोध्या को विकसित किए जाने को लेकर प्राधिकरण के द्वारा स्थानीय लोगों से भी राय ली जा रही है जिसमें संत समाज, शिक्षक वर्ग व अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ बैठक किया जा रहा है। इसी कड़ी में आज अयोध्या में शिक्षा विभाग से जुड़े लोगों ने भी अपनी राय रखी। जिसके लिए पूर्व कुलपति डॉ मनोज दीक्षित को भी विशेष रूप से आमंत्रित किया गया।
राम मंदिर निर्माण के साथ अयोध्या अंतर्राष्ट्रीय सिटी के रूप में विकसित करने की योजना को लेकर समाज के प्रत्येक वर्ग से राय ली जा रही हैं इसी कड़ी में आज अवध विश्वविद्यालय के प्रोफेसर व पूर्व कुलपति डॉक्टर मनोज दीक्षित के साथ बैठक किया इस बैठक में प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विशाल सिंह ने अयोध्या के सुंदरीकरण की योजना के स्वरूप को प्रकट करते हुए राय मांगी। इस दौरान पूर्व कुलपति डॉ मनोज दीक्षित ने अयोध्या को विकसित किए जाने के साथ संरक्षित किए जाने का प्रस्ताव दिया उनके मुताबिक अयोध्या की प्राचीन स्थलों व यहां की परंपरा को संरक्षित करने सही विकास होगा जिसे देखने के लिए देश दुनिया के लोग अयोध्या आना चाहते हैं।
अवध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ मनोज दीक्षित विपक्षी टीम को खास जानकारी देते हुए बताया कि अयोध्या को ग्लोबल सिटी के रूप में विकसित करने की मुख्यमंत्री की इच्छा है इसके अनुरूप अयोध्या के विकास के लिए बना के प्रस्ताव पर चर्चा किया गया है जिस पर आगे चलकर फाइनल किया जाएगा। और कहां की अयोध्या का संरक्षण और विकास दोनों एक साथ चलने चाहिए अयोध्या संरक्षित रहेगी तो वहां का विकास भी होगा बताया कि विकास के पहले एक केंद्र निर्धारित किया जाए वही अयोध्या है और उसी परंपरागत अयोध्या को देखने के लिए दुनिया आएगी विकास को देखने के लिए दुनिया नहीं आएगी। वही अयोध्या को 84 कोसी अंतर्गत के रूप में भी विकसित किए जाने के लिए प्रस्ताव दिए गए हैं उनके मुताबिक 84 कोसी परिक्रमा के अंतर्गत बड़े जंगल भी पढ़ते हैं यहां पर सिर्फ आप अब आप की प्रकृति के साथ हूं उसी को अध्यात्मिक कहते हैं उसका आनंद लेने के लिए स्थल बने जैसे कि देश दुनिया में कई स्थानों पर इस तरह की व्यवस्थाएं हैं उसी तरह से यहां पर भी होनी चाहिए।
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