रजनीकांत राम मंदिर कार्यशाला ऐसे शख्स थे जिनकी महज 4 महीने निधन हो गया। रजनीकांत सोमपुरा वर्षों से मंदिर के पत्थरों को तराशने में जुटे हुए थे। कार्यशाला में मौजूद लोगों ने बताया कि रजनीकांत यहां 1990 में 21 साल की आयु में अपने ससुर अनुभाई सोनपुरा के साथ आए थे। वह गुजरात से रहने वाले थे। रजनीकांत ढाई-ढाई फीट के पत्थर को अकेले तराशते थे और इस पर महीनों नक्काशी करते थे। लेकिन इसी जुलाई में रजनीकांत का निधन हो गया। कभी रजनीकांत के साथ डेढ़ सौ के करीब मजदूर पत्थर तराशी के काम में लगे थे। लेकिन इन दिनों महज छह-सात लोग ही काम कर रहे थे। रजनीकांत के इस दुनिया से जाने के बाद के बाद पत्थरों को तराशने का काम बंद पड़ा था।
अनुभाई अब लगे हैं अपने काम में 80 साल के बुजुर्ग अनुभाई (रजनीकांत के ससुर) कार्यशाला के सबसे बूढ़े व्यक्ति हैं। वह बताते हैं कि उनके दामाद वह आखिरी इंसान थे, जिन्होंने अयोध्या में मंदिर के पत्थरों को तराशने का काम किया। वह बताते हैं कि कभी 90 दशक में राम मंदिर कार्यशाला में 125 मजदूर काम करते थे, लेकिन बाद में यह संख्या 50 तक ही रह गई। 2007 में कार्यशाला में पत्थरों को तराशने का काम रुक गया। जो बाद में2011से फिर से शुरू हुआ। शिलापूजन कार्यक्रम के दौरान दुनिया भर से अयोध्या में करीब 2.5 लाख पत्थर लाए गए थे। ये पत्थर दान में मिले थे। यहां तक कि चीन, कनाडा और यूरोपियन देशों में रहने वाले राम भक्तों ने भी मंदिर के लिए दान दिया था।
128 फीट ऊंची मंदिर बनाने की योजना अयोध्या में अब मंदिर निर्माण की चर्चा है। यह मंदिर कैसा होगा कितना ऊंचा होगा सब इसी की चर्चा कर रहे हैं। माना जा रहा है कि मंदिर दो मंजिला होगा। प्रथम मंजिल की ऊंचाई 18 फीट एवं दूसरी मंजिल की ऊंचाई 15 फीट नौ इंच होगी। 28 वर्षों से राजस्थान, गुजरात, मिर्जापुर व देश के अन्य हिस्सों से आए कारीगर कारसेवक स्थित कार्यशाला में एक लाख घनफुट पत्थरों की तराशी का कार्य पूरा कर चुके हैं। बताया जा रहा है कि मंदिर 8 फीट ऊंची पीठिका होगी। इन तक प्रशस्त सीढिय़ों से पहुंचा जा सकेगा। इसी पीठिका पर मंदिर का 10 फीट चौड़ा परिक्रमा मार्ग होगा। चार फीट नौ इंच ऊंची एक आधार पीठिका पर मंदिर का निर्माण होना है। मंदिर में 212 स्तंभ लगेंगे। प्रथम मंजिल में 106 एवं इतने ही दूसरी मंजिल पर लगेंगे। प्रथम मंजिल पर लगने वाले स्तंभों की ऊंचाई 16 फीट छह इंच एवं दूसरी मंजिल पर लगने वाले स्तंभों की ऊंचाई 14 फीट छह इंच होगी।
मीर बाकी की मजार के पास मिल सकती है जमीन अयोध्यावासियों के जेहन में अब यही सवाल है कि आखिर कोर्ट के फैसले के बाद मस्जिद के लिए पांच एकड़ की जमीन कहां मिलेगी। हालांकि, मस्जिद कहां बनेगा, यह स्पष्ट नहीं है। लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि मस्जिद का निर्माण मीर बाकी की मजार के आसपास हो सकता है। स्थानीय निवासी राजीव सोना बताते हैं कि मीर बाकी की मजार अयोध्या से सटे सहनवा में है। बताया जाता है कि मीर बाकी यहां रहते थे और उन्होंने यहां एक मस्जिद बनवाई थी। मुगल बादशाह बाबर के सेनापति मीर बाकी को बाबरनामा में बाकी ताशकंद के नाम से भी जाना जाता है।