कई विकल्पों के बीच फंसा पेंच मस्जिद निर्माण के लिए उपयुक्त स्थान का पेंच कई विकल्पों के बीच में फंसा है। बेहद घनी बसी अयोध्या में मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन तलाशना मुश्किल है। मंदिर की तरफ सरयू के दूसरे पार वाले नगर निगम के इलाके में जमीन का आवंटन करना मुश्किल हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सुन्नी वक्फ बोर्ड के लिए अपनी 67 एकड़ अधिगृहत जमीन में से पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया है। एक अन्य विकल्प में कोर्ट ने राज्य सरकार को अयोध्या के अंदर ही प्रमुख स्थान पर उपयुक्त जमीन मस्जिद के लिए देने को कहा है।
ये भी पढ़ें: कारसेवकपुरम में खुशी, लेकिन रजनीकांत के जाने का गम एक तरफ बजे मंदिर की घंटी, दूसरी तरफ हो अजान कोर्ट ने जमीन अधिग्रहण के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड से आपसी बातचीत कर सुलह करने को कहा है। मस्जिद किसी ऐसी जगह बनाई जाए जिससे मुस्लिमों के मन में भी कोई खेद न रहे और हिंदूओं को भी परेशानी न हो। हालांकि, मुख्यमंत्री को मस्जिद के लिए जमीन आवंटन करने में थोड़ी ज्यादा मशक्कत करनी पड़ सकती है। दोनों समुदाय के बीच विवाद का कोई मुद्दा ही हो इसके लिए भाजपा 14 कोसी परिक्रमा पथ के बाहर जमीन अधिग्रहित कर सकती है। या फिर मस्जिद की जमीन फैजाबाद हाईवे के पास भी दी जा सकती है। वहीं दूसरी ओर अयोध्या म्यूनिसिपल कॉपरेशन के सदस्य, हाजी असद अहमद का कहना है कि उन्हें बाबरी मस्जिद के बदले में कोई जमीन नहीं चाहिए। अगर अदालत या सरकार जमीन देना चाहती है, तो उन्हें अधिग्रहित क्षेत्र में जमीन दी जाए। अगर एक तरफ अगर मंदिर की घंटी बजे, तो दूसरी तरफ अजान हो। इससे हिंदूओं और मुस्लिमों के बीच खटास कम होगी और आपसी भाईचारा भी बढ़ेगा।
सहनवा गांव में मस्जिद निर्माण की चर्चा इस बात की चर्चा है कि मस्जिद को अयोध्या के निकट सहनवा गांव में मीर बाकी की मजार के पास बनाया जा सकता है। मीर बाकी ने बाबरी मस्जिद का निर्माण करवाया था। यह अयोध्या में कारसेवकपुरम से पांच से सात किमी की दूरी पर है। राज्य सरकार ने इस तरह की एक और जगह राम जन्मभूमि मंदिर के पीछे आरा मशीन के पास भी चिन्हित की है। मस्जिद निर्माण का काम सुन्नी वक्फ बोर्ड को कराना है।