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अयोध्या

बड़ी खबर : फैसले के पहले बाबरी विध्वंस मामले पर इकबाल अंसारी का बड़ा बयान

बाबरी विध्वंस मामले पर इकबाल अंसारी ने कहा मस्जिद गिराने के लिए बुलाए गए थे 10 लाख कारसेवक, सीबीआई ने जुटाए है सबूत

अयोध्याSep 29, 2020 / 10:34 pm

Satya Prakash

फैसले के पहले बाबरी विध्वंस मामले पर इकबाल अंसारी का बड़ा बयान

फैसले के पहले बाबरी विध्वंस मामले पर इकबाल अंसारी का बड़ा बयान

अयोध्या : राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद का विवाद 9 नवंबर 2019 कुछ सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ समाप्त हो गया लेकिन 6 दिसंबर 1992 में गिराए गए विवादित ढांचे को लेकर विवाद आज भी चल रहा है जिस पर सीबीआई की स्पेशल कोर्ट 30 सितंबर को आखरी फैसला सुनाएगी इस मामले को लेकर भी दोनों पक्षों के द्वारा तमाम सबूत पेश किए गए और सुनवाई के बाद अब फैसले के इंतजार में हैं आने वाले इस फैसले को लेकर बाबरी पक्षकार इकबाल अंसारी ने इस मामले को भी कोर्ट के फैसले पर छोड़ दिया है।
इकबाल अंसारी ने पत्रिका टीम से खास बातचीत करते हुए बाबरी विध्वंस मामले पर जानकारी देते हुुुए बताया कि बाबरी मस्जिद में मूर्ति को रात्रि में 12 बजे रखी गई और जब लोग सुबह नमाज पढ़ने गए तो मूर्ति रखी हुई मिली।और उसी वक्त एफआईआर किया गया था। 50 वर्षों से मूर्ति मस्जिद में रही और मुकदमा लोवर कोर्ट, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक चलता रहा आज बहुत से लोगो को इसके बारे में मालूम नही है। सिर्फ हिन्दू मुसलमान का विवाद बनाये रखे।जिसके कारण यह मुकदमा इतना दिन चला। 1992 में 10 लाख कारसेवक बुलाये गए थे और मस्जिद गिराई गई थी उसी का नाम बाबरी विध्वंस है। इस समय पूरी दुनिया देख रही थी।टेलीविजन व रेडियों में भी प्रसारित किया जा रहा था। जब मस्जिद गिराई गई थी उस समय कल्याण सिंह मुख्यमंत्री रहे। और केंद्र में नरसिंगा राव प्रधानमंत्री रहे। उन्ही के समय का यह मुकदमा है। वहीं बताया कि हमारे वालीद ( पिता ) सन 1961 में आये थे उसके पहले भी इसका विवाद चल रहा था। इस विवाद में 5 लोगो की कमेटी गठित की थी जिसमे मुख्य पक्षकार हमारे पिता हासिम अंसारी थे। वहीं कहा कि इस विवाद में हम लोग कभी सड़कों पर नही आये हमेशा कानून का सहारा लिया। इसको लेकर कोर्ट का चक्कर लगाते रहे लेकिन कभी इस पर राजनीति नही किया। क्योंकि हम जानते थे कि इसको राजनीति में ले आये हैं।और हिन्दू मुसलमान की फिलिंग पैदा कर रहे। कानून सबूतों के आधार पर चलता है। वहीं बाबरी मस्जिद विध्वंस के आरोपियों को लेकर बताया कि यह लोग कानून का उल्लंघन किए हैं जिसके लिए सीबीआई ने उनके ऊपर मुकदमा किया है क्योंकि इनको कोर्ट में विश्वास नहीं था केवल आस्था रखते रहे। यह लोग केवल जानते रहे बाबरी मस्जिद का मामला लोवर कोर्ट, हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट में है। इन लोगों ने जो भी किया सरकार जानती है हम लोग कानून पर छोड़ते थे कि न्याय कोर्ट करेगा आगे जिम्मेदारी सीबीआई की है जो भी इनके द्वारा सबूत इकट्ठा किया गया है। लेकिन जो हमारा फर्ज था वह हमने निभाया है और जो 6 दिसंबर 1992 को बाबरी विध्वंस किया गया इस दौरान तमाम मकाने भी जलाए गए थे उसी का मुकदमा सीबीआई का है अब सीबीआई क्या करती है इसकी जिम्मेदारी उनकी है लेकिन जिस मामले को लेकर यह विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को फैसला कर दिया है। हिंदू मुसलमानों के बीच का राजनीतिक विवाद बन गया था हम भी यही चाहते थे कि जल्द से जल्द इस मामला समाप्त हो तो सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया है।
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