27 वर्ष पूर्व 6 दिसंबर, 1992 में अयोध्या के विवादित ढांचे को लाखों कारसेवकों ने गिराया था। इस दिन को विश्व हिंदू परिषद शौर्य दिवस के रूप में मनाती है। लेकिन, इस बार विवादित ढांचे की 28वीं बरसी पर 6 दिसंबर को शौर्य दिवस नहीं मनाने का निर्णय लिया है। कारसेवकपुरम में प्रभारी शिव दास की अध्क्षता में हुई बैठक में यह फैसला लिया गया कि हर साल की तरह इस बार 6 दिसंबर को शौर्य यात्रा का कार्यक्रम नहीं होगा। उन्होंने कहा कि 500 सालों से हिंदू समाज जिस राम मंदिर जन्म सिथान के लिये संघर्षरत था, आज उसमें वह शुभ घड़ी आ गई है। जब मंदिर निर्माण का काम शुरू होने वाला है।
विहिप प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा कि रामलला के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसले के बाद अब अयोध्या सहित देश भर में छह दिसंबर को सार्वजनिक रूप से आयोजित होने वाले शौर्य दिवस के कार्यक्रम को स्थगित करने का फैसला पदाधिकारियों ने लिया है। विहिप नहीं चाहती कि न्यायालय के इतने बड़े निर्णय को दो चार घंटों में सीमित किया जाए। इसलिए इस दिन मठ मंदिरों और घरों में दीप प्रज्वलित कर मंदिर के पक्ष में आए फैसले को लेकर मौन तौर पर खुशी का इजहार किया जाएगा। साथ ही देश में शान्ति और सद्भाव को बल प्रदान करने का आह्वान किया है।
मुस्लिम समाज मनाएगा यौमे गम: हाजी महबूब विहिप भले ही 6 दिसंबर को शौर्य दिवस न मनाने की बात कह रही हो लेकिन मुस्लिम समाज बाबरी विध्वंस की 28वीं बरसी पर परंपरागत कार्यक्रम यौमे गम का आयोजन करेगा। मुस्लिम पक्षकार हाजी महबूब ने कहा कि विहिप ने क्या निर्णय लिया, इससे हमें लेना देना नहीं है। हम यौमे गम जरूर मनाएंगे। मंदिर पर फैसले से इस कार्यक्रम पर असर नहीं पड़ेगा। कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद गिराई थी, इसे सुप्रीम कोर्ट ने भी अपराध माना है।