बता दें कि विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण 2007, विशेष चयन 2008 तथा सामान्य चयन 2008 में चयनित शिक्षकों के प्रमाण पत्र को लेकर शुरू में ही सवाल उठे थे। इस मामले में रविंद्र कुमार शार्म व अन्य की विशेष अपील पर उच्च न्यायालय ने 03 फरवरी 2016 को अभ्यर्थियों की जांच मेडिकल बोर्ड गठित कर कराने का आदेश दिया था। इसके बाद सरकार ने 13 मई 2016 को मेडिकल बोर्ड गठित कराया था।
बोर्ड के गठन को पांच साल का समय हो चुका है लेकिन आजमगढ़ जिले के 15 शिक्षक एक बार भी मेडिकल बोर्ड के सामने उपस्थित नहीं हुए। अब मेडिकल बोर्ड ने उक्त शिक्षकों की सूची जारी कर दी है। साथ ही जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से जनपद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक व प्रधानाध्यापक के पद पर तैनात दिव्यांग शिक्षकों का अभिलेख उपलब्ध कराने को कहा है।
इसके बाद से ही सभी 15 शिक्षकों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अंबरीश कुमार का कहना है कि प्रकरण गंभीर है। विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण 2007, विशेष चयन 2008 तथा सामान्य चयन 2008 में चयनित दिव्यांग शिक्षकों की जांच चल रही है। मेडिकल बोर्ड द्वारा गठित टीम के समक्ष जिले के कई शिक्षक अनपुस्थित चल रहे हैं। उनकी सूची बोर्ड द्वारा जारी की गयी है। उक्त शिक्षकों का वेतन रोका जा रहा है। प्रमाण पत्रों की जांच के बाद इनके खिलाफ आगे की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि पूर्व में वाराणसी जनपद के चेतगंज थाना क्षेत्र के जगतगंज निवासी शिक्षक अरविंद कुमार उपाध्याय व आजमगढ़ के रौनापार थाना क्षेत्र के खरखियां गांव निवासी रेखा सिंह के प्रमाण पत्र फर्जी मिले थे। इन्हें बर्खास्त किया जा चुका है।
By- रणविजय सिंह