बता दें कि अटल जी को आजमगढ़ से काफी लगाव था। उनके कई करीबी सहयोगी इस जिले के रहने वाले है। खासतौर पर महातम राय अटल जी के लिए भाई की तरह थे। वहीं जयप्रकाश मौर्य अंतिम समय तक अटल जी के साथ रहे। यूं भी कहा जा सकता है कि उन्होंने अपना पूरा जीवन अटल जी की सेवा के लिए समर्पित कर दिया था।
अटल जी अंतिम बार वर्ष 1996 में अंतिम बार चुनावी सभा के लिए पहुंचे थे। उस समय अटल जी को सुनने के लिए लाखों की संख्या में लोग पहुंचे थे। भीड़ के मामले में आज भी यह रिकार्ड है। वर्ष 1962 से 1996 के मध्य अपनी यात्राओं के दौरान अटल जी कई लोगों के घर भी गए। उनके निधन से हर कोई मर्माहत है। यहां तक कि विपक्ष ने भी अपने सारे कार्यक्रम स्थगित कर दिये है।
अब अटल जी की अस्थि कलश यात्रा 25 अगस्त को आजमगढ़ पहुंच रही है। भारतीय जनता पार्टी जिला इकाई की तरफ से तैयारी भी तेज कर दी गई है। तमसा के राजघाट पर अस्थि कलश प्रवाहित किया जाएगा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रेल राज्य और संचार राज्य मंत्री मनोज सिन्हा होंगे। अस्थि कलश यात्र का रूट भी निर्धारित कर दिया गया है। भाजपा पूर्व महामंत्री ब्रजेश ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी की अस्थि कलश यात्र 25 अगस्त को देवरिया व मऊ होते हुए जनपद सीमा में दिन में तीन बजे प्रवेश करेंगी।
मऊ की सीमा पर केरमा भुजही के पास अस्थि कलश यात्र के साथ जिले के भाजपा पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं के अलावा हजारों की संख्या में आमजन शामिल होंगे। सठियांव, शाहगढ़, सिधारी, शारदा चौराहा, रैदोपुर, कलेक्ट्रेट चौराहा, अग्रसेन चौराहा होते हुए तमसा किनारे राजघाट पर अस्थि कलश यात्रा पहुंचेगी जहां विधि-विधान पूर्वक प्रवाहित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि राजघाट पर ही श्रद्धाजंलि सभा का आयोजन होगा जिसकी तैयारी शुरू कर दी गई है।
By- रणविजय सिंह