इस अभियान के जरिये बीजेपी एक तीर से दो शिकार करेगी। एक तो वह ज्यादा से ज्यादा लोगों को पार्टी से जोड़ेगी दूसरे उसे यह पता चल सकेगा कि कहां सरकार की योजनाएं सही ढंग से पहुंची है कहां नहीं। अगर नहीं पहुंची है तो किस स्तर पर कमी हुई। उस कमी को दूर कराकर तथा लोगों को योजनाओं का लाभ दिलाकर कार्यकर्ता लोगों के दिलों में उतरने की कोशिश करेंगे। वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह बीजेपी का महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
कारण कि गठबंधन की हार के बाद पूरे प्रदेश में सपा और बसपा के लोग हतोत्साहित है। सरकार से लड़ने का अब तक उनके पास कोई एजेंडा भी नहीं दिख रहा है। ऐसे में बीजेपी अगर अपने बी श्रेणी के बूथों को मजबूत कर लेती है तो निश्चित तौर पर विपक्ष के लिए 2022 की राह आसान नहीं होगी। कारण कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी आजमगढ़ जिले की कोई सीट भले ही न जीती हो लेकिन उसका मत प्रतिशत तेजी से बढ़ा है। ऐसे में सपा बसपा के अलग अलग मैदान में आने पर वह कड़ी चुनौती पेश कर सकती है।