बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी 14 जुलाई को पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास करने आजमगढ़ आ रहे है। इस दौरान वे मंदुरी हवाई पट्टी पर जनसभा को संबांधित करेंगे। पीएम का कार्यक्रम शुरू से ही विवादों में घिरा हुआ है। सपा के लोग आरोप लगा रहे हैं कि पीएम राजनीतिक लाभ के लिए ऐसी परियोजना का शिलान्यास करने आ रहे हैं जिसका शिलान्यास पिछली सरकार कर चुकी है। वहीं दूसरी तरफ बीजेपी में भी रार मची हुई है।
जनसभा की घोषणा के बाद सहजानंद राय को इसका प्रभारी बनाया गया लेकिन सारी कमान जिलाध्यक्ष ने अपने हाथ में रखी। रैली को सम्पन्न कराने के लिए हुई तैयारी बैठक में जब पदाधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गयी तो प्रमुख जिम्मेदारी से पिछड़ों को दूर रखा गया। सर्वाधिक 13 लोग जो क्षत्रिय थे उन्हें टीम में शामिल किया गया। अंदरखाने इसका जमकर विरोध हुआ। हद तो तब हो गयी जब कार्यक्रम स्थल पर पूर्व में लोकसभा लड़ चुके एक क्षत्रिय नेता और टिकट की दावेदारी कर रहे ब्राह्मण नेता आपस में भिड़ गए। बहरहाल यह मामला किसी तरह शांत हुआ।
अब पीएम के कार्यक्रम में चंद दिन बाकी है। बुधवार को सीएम ने मंदुरी में कार्यक्रम की तैयारी के संबंध में विभिन्न जिलों के पदाधिकारियों के साथ बैठक की। यहां भी पिछड़ों की उपेक्षा का मुद्दा छाया रहा। बीजेपी सूत्रों के मुताबिक विधानसभा चुनाव से पूर्व बसपा छोड़कर आये पिछड़ी जाति के नेता ने बैठक में सीएम से कहा कि पार्टी और सरकार में ं पिछडों की खुलेआम उपेक्षा हो रही है। उन्होंने सीएम से कहा कि आप खुद देखे कि हेलीपैड पर कितने लोगों को जाने दिया गया और वे कौन से लोग थे। आखिर पिछड़ों को वहां क्यों नहीं जाने दिया गया। पहले तो सीएम ने कहा कि इस समय इस बात का वक्त नहीं हैं बाद में इसपर चर्चा की जाएगी लेकिन जब बात बढ़ती दिखी तो उन्होंने यह कहकर मामले को शांत किया कि अब रैली की सारी जिम्मेदारी वन मंत्री दारा सिंह चौहान देंखेगे।
वैसे सीएम करीब दो घंटों तक मंदुरी में रहे इस दौरान गेट के बाहर भी कुछ इसी तरह की चर्चा दिखी। वर्ष 2008 में सपा छोड़कर भजापा में शामिल हुए पूर्व सांसद दारोगा प्रसाद सरोज तो किसी तरह सीएम तक पहुंचने में कामियाब रहे थे लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से आये अरविंद जायसवाल को अंदर नहीं जाने दिया गया। वे अंत तक बाहर ही खड़े रहे। ऐसे कई और नेता थे जो सीएम तक नहीं पहुंच सके और इनके चेहरे पर उपेक्षा का दर्द भी साफ झलक रहा था। एक नेता ने नाम न लिखने की शर्त पर कहा कि पार्टी में पिछड़ों को उपेक्षा की नजर से देखा जा रहा है। इससे लगातार नाराजगी बढ़ रही है। सरकार को इसका नुकसान वर्ष 2019 के चुनाव में उठाना पड़ सकता है। वहीं पूर्व सांसद रमाकांत यादव पिछले चार महीने से यह आरोप लगा रहे है कि पिछड़ों के दम पर सत्ता में आयी बीजेपी में उनकी हैसियत कीड़े मकोड़ों जैसी हो गयी है। इससे साफ है कि इस दल में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है।
input रणविजय सिंह