बता दें कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद बसपा मुखिया मायावती एक बार फिर संगठन को धार देने में जुटी है। बसपा ने यूपी में होने वाले लोकसभा उपचुनाव भले ही लड़ने से मना कर दिया हो लेकिन पार्टी निकाय चुनाव में पूरी ताकत के साथ उतरने की तैयारी कर रही है। प्रत्याशियों के चयन में भी खास
ध्यान दिया जा रहा है।
यह भी पढ़ें- बलराम पर फिर भारी पड़ेंगे दुर्गा? उनके करीबी को मिल सकता है टिकट इस चुनाव के बीच ही 24 अक्टूबर को आजमगढ़ में मायावती का होने वाला कार्यक्रम काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। कारण कि आजमगढ़
मुलायम सिंह यादव का संसदीय क्षेत्र है। वहीं इस रैली में आजमगढ़ के अलावा गोरखपुर और वाराणसी मंडल के भी कार्यकर्ता भाग लेंगे। वाराणसी पीएम
नरेन्द्र मोदी और गोरखपुर सीएम
योगी आदित्यनाथ का क्षेत्र है। मायावती यहां से इन क्षेत्र के कार्यकर्ताओं को केंद्र और प्रदेश सरकार को उखाड़ फेंकने का अह्वाहन करेंगी तो सपा से भी सर्तक करेंगी।
यह भी पढ़ें- मायावती की रैली के पहले आजमगढ़ का दौरा करेंगे डिप्टी सीएम केशव मौर्य राजनीति के जानकारों का मानना है कि मायवाती सम्मेलन में कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटाकर पूर्वांचल के लोगों को यह संदेश देने का प्रयास करेंगी कि अभी उनकी पार्टी कमजोर नहीं हुई है। भीड़ ही बसपा को पूर्वांचल में भविष्य भी निर्धारित करेगी। कारण कि डेढ साल बाद ही लोकसभा चुनाव है और बसपा के पास खोने के लिए कुछ नहीं है। इसके पूर्व वह अगर अपने वोट बैंक को मजबूत नहीं कर पाती है तो फिर पार्टी का हश्र 2014 जैसा हो सकता है। यदि ऐसा हुआ तो फिर उनके लिए पार्टी को खड़ा करना मुश्किल होगा। यही वजह है कि आजमगढ़ के कार्यक्रम में भीड़ को जुटाने के लिए खास योजना बनायी गयी है।
by Ran Vijay Singh