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आजमगढ़

सपा के गढ़ में ओवैसी मुसलमानों को पिला गए अधिकार की घुट्टी

पूर्वांचल में नया गुल खिला सकती है अति पिछड़ो, अति दलितों व मुसलमानों की जुगलबंदी
भाजपा को लेकर कही यह बड़ी बात, बोले 2022 में बदल जाएगी तस्वीर

आजमगढ़Jan 13, 2021 / 10:45 am

रफतउद्दीन फरीद

azamgarh news

ओवैसी व अखिलेश यादव

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
आजमगढ़. लंबे समय बाद पूर्वांचल के दौरे पर आये एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी सपा मुखिया अखिलेश यादव के गढ़ में घुसकर मुसलमानों को अधिकार की घुट्टी पिलाने में सफल रहे। उन्होंने यह मैसेज देने का सफल प्रयास किया कि देश का मुसलमान अब तक वोटबैंक के रूप में इस्तेमाल होता रहा है जिससे कभी आगे नहीं बढ़ पाया और राजनीतिक दल उससे सिर्फ ताली बजवाते रहे और वोट हासिल करते रहे।

इस दौरान समर्थकों द्वारा लगाया गया नारा कौन आया कौन आया शेर आया शेर आया ने ओवैसी को उत्साह से भर दिया और उन्होंने विपक्षी दलों को लगे हाथ नसीहत दे डाली कि अब यूपी ही नहीं बल्कि पूरे देश का मुसलमान किसी राजनीतिक दल के लिए वोट बैंक नहीं बनेगा बल्कि राजनीति में हिस्सेदारी की लड़ाई लड़ेगा। दावा किया कि 2022 में उनका भागीदारी संकल्प मोर्चा यूपी में बड़ा गुल खिलाएगा।

बता दें कि सपा सरकार के दौरान वर्ष 2016 में आजमगढ़ के निजामाबाद थाना क्षेत्र के खोदादादपुर में हुए सांप्रदायिक दंगे के बाद ओवैसी ने कई बार आजमगढ़ आने का प्रयास किया लेकिन उन्हें अनुमति नहीं मिली। एक बार तो उन्हें आजमगढ़ अंबेडकरनगर बार्डर से लौटा दिया गया था। मंगलवार की सुबह जब वे वाराणसी एअरपोर्ट पहुंचे तो उनका दर्द भी छलका और कहा कि सपा सरकार में उन्हें 12 बार पूर्वांचल आने से रोका गया और 28 बार उनका कार्यक्रम निरस्त किया गया।

सपा मुखिया अखिलेश यादव के संसदीय जिले आजमगढ़ में पहुंचने के बाद ओवैसी का तेवर बिल्कुल बदला दिखा। वैसे तो उन्होंने बात मुसलमानों के साथ दलित और पिछड़ों के भी हक की बात कही लेकिन उनकी नजर सपा के वोट बैंक माने जाने वाले मुस्लिम मतदाताओं पर थी। यही वजह है कि ओवैसी ने पुराने मदरसों के नाजिमों से मिलने का फैसला किया जहां हजारों की संख्या में अल्पसंख्यक छात्र और धर्मगुरू मौजूद होते हैं।

चंद घंटों की यात्रा में ओवैसी ने वर्ष 2022 के चुनाव के लिए जमीन तैयार करने की कोशिश की और सीधे तौर पर समाजवादी पार्टी को निशाने पर रखा। कारण कि उन्हें पता है मुसलमानों को सपा से दूर करके ही वे पूर्वांचल में अपने सियासी सफर को आगे बढ़ा सकते हैं। चाहे मुसलमानों की नौकरी का मामला हो या फिर राजनीति में हिस्सेदारी का उन्होंने पुरजोर तरीके से उठाया और मैसेज देने का प्रयास किया कि आजादी के 73 साल में राजनीतिक दलों ने उनके साथ धोखा किया है।

ओवैसी का यह दाव कितना सफल होगा यह तो समय बतायेगा लेकिन ओवैसी के तेवर ने पूर्वांचल के सियासी तापमान को काफी बढ़ा दिया है। मुस्लिम धु्रवीकरण के भरोसे सत्ता की सीढ़ी चढ़ती रही सपा बसपा इससे सर्वाधिक बेचैन दिख रही हैं। वहीं ओम प्रकाश राजभर के ओवैसी के साथ साथ खड़े होने से बीजेपी के भी पेशानी पर बल साफ दिख रहा है। पार्टी को पिछड़े मतदाताओं खासकर राजभरों में सेंध लगने का डर सताने लगा है।

BY Ran vijay singh

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