आजादी के बाद देश में समतामूलक समाज के उद्देश्य से संविधान बना। संविधान की मूल भावना समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना ही आजादी का मूल तत्व है। योगी को समाजवाद जानने के लिए महापुरूषों व समाजवादी विचारधारा को पढ़ना पडे़गा। इस देश में 72 साल से लोकतांत्रिक व्यवस्था चल रही है जो संविधान के अनुसार है। योगी भी मुख्यमंत्री हैं तो संविधान के अनुसार ही। उनकी यह भाषा की जनता को रामराज्य चाहिए। यह पुरानी व्यवस्था मनुवाद व वर्णवाद को लागू करने का संकेत कर रही है। जिसमें राजा रानी की कोंख से पैदा होता था न कि वोट से।
उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजा वोट से पैदा होता है चाहे गरीब हो या अमीर। रामराज्य में वर्ण व्यवस्था पर आधारित था। जिसमें चार वर्ण ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व शुद्र। शूद्र जो बहुसंख्यक थे उनको पढ़ने व नौकरी का अधिकार नहीं था। जाति के हिसाब से कार्य बटे थे। उनको अछूत माना जाता था। उसका उदाहरण है कि मन्दिर ट्रस्ट में पिछड़े वर्ग का एक भी सदस्य नहीं है।
योगी जी का यह कहना कि सुप्रीम कोर्ट ने मन्दिर बनाने का फैसला देकर 1990 में सपा सरकार में की गयी कार्यवाई को गलत माना जबकि फैसले में यह स्पष्ट निर्णय है कि कांग्रेस की सरकार में मस्जिद में ताला तोड़कर मूर्ति रखना गलत था तथा 6 दिसम्बर 1992 में भाजपा सरकार में मस्जिद गिराया जाना भी गलत व असंवैधानिक था। सन् 1990 की कार्यवाई को न्यायालय ने उचित माना।