देश में विख्यात बड़वानी का अधिकतम तापमान 2 डिग्री की गिरा, इस वर्ष भी जिले के अन्य हिस्सों से बड़वानी का तापमान रहा कम
बड़वानी•Jun 11, 2021 / 11:27 am•
vishal yadav
Barwani gets cold from the canals
बड़वानी/सेंधवा. अकसर सुनने में आता है कि मानव निर्मित कई निर्माण प्रकृति के लिए घातक सिद्ध होते है, लेकिन कई संरचनाएं ऐसी भी है जो प्रकृति के लिए वरदान साबित हुई है। ऐसा ही एक अध्ययन बड़वानी के मौसम विभाग के वैज्ञानिकों ने किया है, जिससे पता चला है कि देश में भीषण जानलेवा गर्मी के लिए जाना जाने वाला बड़वानी जिले के औसत तापमान में लगातार 2 डिग्री तक की कमी दर्ज की गई है। ऐसा इसलिए हुआ है कि नहरों की वजह से गर्मी में खेती संभव हुई और इसका सीधा असर बड़वानी के तापमान पर देखा गया। विशेषज्ञों का मानना है कि ये सुखद संकेत है, लेकिन बड़वानी के अलावा सेंधवा में उलटे नहरों की बदहाली की वजह से गर्मी में तापमान में राहत मिलती नहीं दिखती है। पाटी क्षेत्र में जंगलों की कमी के कारण तापमान अधिक रहता है।
अधिकतम तापमान में दो डिग्री की राहत
रेहगुन स्थित मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डीके तिवारी ने बताया कि पिछले दो वर्षों के अध्ययन से इस ये बात सामने आई है कि बड़वानी क्षेत्र का तापमान पिछले रिकॉर्ड के मुकाबले कम हुआ है। पिछले एक वर्ष से प्रतिदिन गर्मी के आंकड़ों का अध्ययन किया जा रहा है। तापमान कम होना सुखद संकेत है। बड़वानी जिले में हर क्षेत्र के तापमान का अध्ययन करने पर सामने आया कि बड़वानी का तापमान सेंधवा से कम रहा है। इसके कई कारण हो सकते है, लेकिन देश में भीषण और जानलेवा गर्मी के लिए विख्यात बड़वानी का तापमान कम होने के संकेत भविष्य में भी अन्य अध्ययनों का रास्ता खोल रहा है। एक तरफ जहां तापमान 48 डिग्री से अधिक चला जाता था। वहीं अब तापमान में दो डिग्री तक गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि इस पर अभी भी कृषि वैज्ञानिकों, मौसम विशेषज्ञों सहित अन्य एजेंसियों द्वारा विस्तृत अध्ययन की जरूरत है।
नहरों से गिरा गर्मी का ग्राफ
वैज्ञानिक डीके तिवारी का कहना है कि अध्ययन में जब सभी आंकड़ों का विश्लेषण किया गया तो कई सकारात्मक तथ्य सामने आये जिसमें एक महत्वपूर्ण बात रही की बड़वानी सहित आसपास के क्षेत्रों में नहरों का जाल था। नहरें सालभर किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाती रही। पर्याप्त पानी की वजह से किसानों ने भीषण गर्मी में भी कई तरह की उन्नत और पारंपरिक खेती की, जिससे जमीन की नमी बरकरार रही। गर्मी कम हुई है। बड़वानी में केला, पपीता सहित अन्य फसलों की खेती से तापमान में भी कमी दर्ज की गई है। ठीक इसके उलट सेंधवा क्षेत्र में बने जलाशयों की नहरों का सही उपयोग नहीं होने से तापमान में कोई खास गिरावट दर्ज नहीं की गई।
पाटी क्षेत्र में फेल हुए जल संरक्षण के उपाय
तिवारी ने बताया कि जिले में पठार क्षेत्र में चट्टानें अधिक है। इसलिए गर्मी में तापमान अधिक हो जाता है, जिला का पाटी क्षेत्र बेहद सुदूर है। वहीं इस क्षेत्र में जल संरक्षण के अभियान की कम सफलता से तापमान बढ़ा है। सेंधवा में नहरों के बावजूद पानी नहीं मिलने और गर्मी में किसानों द्वारा खेती के लिए सक्षम नहीं होना भी चिंता का विषय है। पाटी क्षेत्र में बारिश का औसत आंकड़ा सिर्फ 746 मिली मीटर है। वहीं बड़वानी जिले का औसत आकड़ा 900 से 1 हजार मिली मीटर है। जिले में जंगलों की कमी, वनों की कटाई, पौधरोपण विफल होना, जंगली पौधों की कमी सहित सीड बम का अधिक उपयोग नहीं होने से मौसम में तापमान बढ़ा है। हालांकि जिले के मौसम विभाग, कृषि विभाग, जल संसाधन, उद्यानिकी सहित अन्य विभागों द्वारा सयुक्त और विस्तृत अध्ययन किया जाए तो जिलें में तापमान सहित फसलों की बेहतरी के लिए कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आ सकते है।