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बागपत

गेंदा के फूलों की खेती कर मालामाल होंगे किसान, सरकार दे रही है अनुदान

गन्ने की पारंपरिक खेती के मुकाबले किसानों को गेंदे की खेती के लिए उद्यान विभाग प्रोत्साहित कर रहा है। इससे किसानों को अधिक आर्थिक लाभ मिलेगा। गेंदे की खेती से कम समय में अधिक आमदनी पाई जा सकती है। इसकी खेती नवंबर के अंतिम सप्ताह के अंदर गेंदे की नर्सरी डालकर गेंदे के पौधे तैयार किए जा सकते हैं। किसानों की आय को बढ़ाने में सजावटी गेंदे की खेती बहुत लाभप्रद सिद्ध हो रही है।

बागपतNov 18, 2021 / 12:23 pm

Nitish Pandey

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बागपत. उत्तर प्रदेश की पश्चिमी बेल्ट गन्ने की खेती के लिए काफी मुफीद है। यहां के किसान शुरू से ही गन्ने पर निर्भर रहे हैं। लेकिन अब गन्ने की खेती में लाभ वाली वो बात नहीं रही जो कि पहले होती थी। जागरूकता के आभाव में किसान इसके अलावा और किसी खेती का रिस्क भी नहीं लेता, लेकिन अब वेस्ट के हर जिले के किसान को गन्ने के अलावा अन्य दूसरी लाभप्रद खेती करने की ओर उद्यान विभाग जागरूक कर रहा है।
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इसी कड़ी में अब बागपत के किसानों को गेंदे के फूल की खेती के लिए किसानों को टिप्स दी जा रही है। बागपत चूंकि दिल्ली से लगा हुआ है और यह हरियाणा की सीमा से भी सटा जिला है। यहां के किसान गेंदे की खेती का इसको दिल्ली और हरियाणा में ऊंचे दाम में बेचकर मोटा मुनाफा कमा सकते हैं।
अफ्रीकन और फ्रेंच गेंदा के लिए उपयुक्त है मिट्टी

गेंदे की खेती वर्ष भर की जा सकती है, लेकिन ठंड के दिनों में नवंबर के अंतिम सप्ताह तक नर्सरी डालना उचित रहता है। उद्यान अधिकारी गमपाल सिंह ने बताया कि अफ्रीकन गेंदा और फ्रेंच गेंदा बहुत ही सरल तरीके से उगाया जा सकता है। इसकी खेती जिस भूमि का पीएच 6.50 से सात के बीच हो। बलुई दोमट मिट्टी एवं जल निकास की उचित व्यवस्था हो।
उन्होंने बताया कि गेंदा औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसमें एंटीफंगल, एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, प्रमुख रूप से त्वचा संबंधी बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए इसकी पत्तियों का रस बहुत उपयोगी होता है, ऐसे तो गेंदा की परंपरागत किस्मे बहुत सी हैं पूसा नारंगी गेंदा, पूसा बसंती गेंदा, अपोलो, अर्का हनी, ऑरेंज लेडी, गोल्डी, कारमेन अच्छी किस्में है यह किस्मे पूरे वर्ष उगाई जाती हैं।
ऐसे करें गेंदे की खेती

जिला उद्यान विभाग के अनुसार नर्सरी में सड़ी हुई गोबर की खाद तथा नीम की खली का प्रयोग करना चाहिए। ब्यूबेरिया बैसियाना को अच्छी तरीके से नर्सरी की मिट्टी में मिला देना चाहिए। इसके बाद नर्सरी के बीमारी को प्रबंधित करने के लिए ट्राइकोडरमा पाउडर का भी प्रयोग करना चाहिए।
एक एकड़ गेंदा के लिए 200 ग्राम बीज उपयुक्त होता है। गेंदे की नर्सरी चार से पांच सप्ताह में तैयार हो जाती है। खेतों की अच्छी तरह से जुताई करके उसमें 120 क्वींटल सड़ी हुई गोबर की खाद प्रति एकड़ की दर डालना चाहिए। एक एकड़ में 60 किलोग्राम नाइट्रोजन, 30 किलोग्राम फास्फोरस और 30 किलोग्राम पोटाश पौध रोपाई से पहले मिला देना चाहिए। अफ्रीकन गेंदा की पौधे से पौधे की दूरी 45 सेंटीमीटर तथा पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 सेंटीमीटर होनी चाहिए।
फ्रेंच गेंदा की पौधे से पौधे की दूरी 20 सेंटीमीटर एवं पंच सरपंच की दूरी 15 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। आवश्यकता अनुसार समय-समय पर नाइट्रोजन का भुरकाव करते रहना चाहिए।

एनसीआर में है गेंदे के अच्छी डिमांड
दिल्ली एनसीआर में गेंदे के फूल की अच्छी डिमांड है। कभी-कभी तो मांग पूरा करने के लिए दूसरे राज्यों से गेंदे का फूल मंगाया जाता है। बागपत के गन्ना किसान गेंदे की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
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