विद्यालय में 170 छात्र-छात्राएं अध्यनरत हैंं, लेकिन भवन में सिर्फ चार ही कक्षा-कक्षा हैं, जिसके चलते बच्चों को अलग-अलग कक्षाओं में बैठाकर पढ़ाना मुश्किल होता है। विद्यालय प्रशासन की मानें तो पहली व दूसरी कक्षा, तीसरी व चौथी कक्षा, छठी व सातवीं कक्षा को एक साथ एक कक्ष में बैठाकर पढ़ाया जाता है। बोर्ड कक्षाओं में शामिल पांचवीं के बच्चों को बाहर चबूतरे पर तो आठवीं कक्षा के बच्चों को अलग कक्ष में पढ़ाया जा रहा है। दो-दो कक्षाओं को एक-एक कक्ष में पढ़ाने से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अध्यापक, बच्चों को किस तरह पढ़ाते होंगे। विद्यालय के एक कमरे में प्रधानाध्यापक का कक्ष बनाया हुआ है तथा इसी में स्टोर का सामान रखा रहता है तो अध्यापक-अध्यापिकाओं को भी इसी स्थान पर बैठना पड़ता है। खास बात ये है कि विद्यालय की स्थिति से यहां के पूर्व और वर्तमान जनप्रतिनिधि भी वाकिफ हैं, लेकिन पर्याप्त भवन का निर्माण नहीं हो पा रहा है।
विद्यालय में जाने के लिए जयपुर रोड से सीधा रास्ता अंदर की तरफ जाता है, लेकिन इस रास्ते के दोनों तरफ दुकानें खुल चुकी है तथा दुकानों के बाहर अतिक्रमण होने एवं कुछ लोगों द्वारा रास्ते में दुपहिया वाहनों को बेतरतीब तरीके से खड़ा कर देते हैं, जिससे बच्चों व अध्यापकों को स्कूल तक पहुंचने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है।(का.सं.)
– नए भवन एवं अध्यापकों के रिक्त पदों को भरने के प्रस्ताव तैयार करके उच्चाधिकारियों को भिजवा दिए जाएंगे, जिससे अग्रिम कार्यवाही हो सके।
बनवारीलाल बुनकर, सीबीईओ, गोविन्दगढ़