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8 कक्षाएं, 4 कक्ष, कैसे हो पढ़ाई

– राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय नंबर दो का मामला- बारिश आई तो समझो स्कूल की छुट्टी- जिम्मेदार विभाग व जनप्रतिनिधि कर रहे अनदेखी

बगरूNov 15, 2019 / 11:26 pm

Dinesh

8 कक्षाएं, 4 कक्ष, कैसे हो पढ़ाई

8 कक्षाएं, 4 कक्ष, कैसे हो पढ़ाई

चौमूं. प्रार्थना सभा के लिए पर्याप्त स्थल ना बैठने के लिए उपयुक्त कक्षा-कक्षा। बारिश में तो विद्यालय प्रशासन के सामने बच्चों की छुट्टी के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता। खुले आसमान के नीचे बैठकर पोषाहार खाने की मजबूरी। यह स्थिति है कि शहर में थाना मोड़ चौराहे के पास स्थित जोगी मोहल्ला में संचालित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय की। अनगिनत समस्याओं के चलते विद्यार्थियों के साथ बच्चों को भी खासी मुसीबतें झेलनी पड़ रही है, लेकिन न जिम्मेदार अधिकारी सुध ले रहे हैं और न ही जनप्रतिनिधि।
जानकार सूत्रों के अनुसार शहर के जोगी मोहल्ला में राज्य सरकार ने वर्ष1961 में राजकीय प्राथमिक विद्यालय खोला था, जिसमें शहर समेत आस-पास क्षेत्र के बच्चे अध्ययन करने आते थे, लेकिन विद्यालय के प्रति सरकार की बेरुखी सी रही। यही कारण है कि विद्यालय को उच्च प्राथमिक स्तर का बनने में ५५ साल लग गए। सरकार ने वर्ष 2014 में इसे उच्च प्राथमिक विद्यालय में क्रमोन्नत तो कर दिया, लेकिन सुविधाओं का विस्तार नहीं किया। विद्यालय में प्रधानाध्यापक के अलावा पांच अध्यापक (लेवल वन), तीन अध्यापक (लेवल 2) और एक शारीरिक शिक्षक का पद स्वीकृत है, लेकिन इनमें से लेवल वन के तीन ही अध्यापक और लेवल 2 में अंग्रेजी विषय के अध्यापक का पद रिक्त है। ऐसे में प्रधानाध्यापक समेत सात अध्यापक अध्ययन अध्यापन करवा रहे हैं।
भवन का टोटा, पढ़ाई बाधित
विद्यालय में 170 छात्र-छात्राएं अध्यनरत हैंं, लेकिन भवन में सिर्फ चार ही कक्षा-कक्षा हैं, जिसके चलते बच्चों को अलग-अलग कक्षाओं में बैठाकर पढ़ाना मुश्किल होता है। विद्यालय प्रशासन की मानें तो पहली व दूसरी कक्षा, तीसरी व चौथी कक्षा, छठी व सातवीं कक्षा को एक साथ एक कक्ष में बैठाकर पढ़ाया जाता है। बोर्ड कक्षाओं में शामिल पांचवीं के बच्चों को बाहर चबूतरे पर तो आठवीं कक्षा के बच्चों को अलग कक्ष में पढ़ाया जा रहा है। दो-दो कक्षाओं को एक-एक कक्ष में पढ़ाने से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अध्यापक, बच्चों को किस तरह पढ़ाते होंगे। विद्यालय के एक कमरे में प्रधानाध्यापक का कक्ष बनाया हुआ है तथा इसी में स्टोर का सामान रखा रहता है तो अध्यापक-अध्यापिकाओं को भी इसी स्थान पर बैठना पड़ता है। खास बात ये है कि विद्यालय की स्थिति से यहां के पूर्व और वर्तमान जनप्रतिनिधि भी वाकिफ हैं, लेकिन पर्याप्त भवन का निर्माण नहीं हो पा रहा है।
अतिक्रमण से बच्चे परेशान
विद्यालय में जाने के लिए जयपुर रोड से सीधा रास्ता अंदर की तरफ जाता है, लेकिन इस रास्ते के दोनों तरफ दुकानें खुल चुकी है तथा दुकानों के बाहर अतिक्रमण होने एवं कुछ लोगों द्वारा रास्ते में दुपहिया वाहनों को बेतरतीब तरीके से खड़ा कर देते हैं, जिससे बच्चों व अध्यापकों को स्कूल तक पहुंचने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है।(का.सं.)
इनका कहना है
– नए भवन एवं अध्यापकों के रिक्त पदों को भरने के प्रस्ताव तैयार करके उच्चाधिकारियों को भिजवा दिए जाएंगे, जिससे अग्रिम कार्यवाही हो सके।
बनवारीलाल बुनकर, सीबीईओ, गोविन्दगढ़

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