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खेतों में सब्जियां लॉक तो किसानों की आर्थिक स्थिति हुई डाउन

किसान सब्जियों को औने पौने दाम पर बेचने पर मजबूर हो रहे हैं। इस बार किसानों को फसल की लागत तक नहीं मिली है। मजबूरी में किसान सब्जी की फसलों को खेतों में छोड़ रहे हैं और कुछ किसान पशुओं को खिलाने के साथ आसपास के लोगों को सब्जियां दे रहे हैं।

बगरूMay 22, 2020 / 08:04 pm

Narottam Sharma

खेतों में सब्जियां लॉक तो किसानों की आर्थिक स्थिति हुई डाउन

खेतों में सब्जियां लॉक तो किसानों की आर्थिक स्थिति हुई डाउन

जयपुर. जिले में चौमूं, हस्तेड़ा, कालाडेरा, निवाणा, गोविंदगढ़, बस्सी सहित कई क्षेत्रों में किसान नकदी फसल के रूप में सब्जियों की खेती करते हैं। लॉकडाउन के चलते होटल रेस्टोरेंट बंद होने व विवाह समारोह स्थगित होने से मांग कम हो गई। साथ ही कोरोना से डर के कारण खरीद नहीं होने से भी सब्जियों की खपत कम हो गई। पकी हुई सब्जियों को मंडी लाने की लागत तक नहीं मिल रही है। ऐसे में किसान सब्जियों को फेंक या मवेशियों को बांट रहे हैं। कई किसानों ने तो जरूरतमंदों को सहायता के रूप में सब्जी के किट भी बांटे हैं। सब्जियों की बिक्री नहीं होने से किसान मायूस हैं। लॉकडाउन के कारण फसल भी खेतों में लॉक होकर रह गई। किसानों को गत वर्ष की तुलना में आधे भाव भी नहीं मिले हैं।
यह है परेशानी
– सब्जी की फसल खेत से तोडऩे के दो-तीन दिन बाद खराब हो जाती हैं।
– सब्जियों को भंडारण नहीं कर सकते किसान।
– पहले ओलावृष्टि, फिर बारिश से हो चुका नुकसान।
– अब लॉकडाउन से नहीं बिकी सब्जियां।
– कीटनाशक पर भी हुआ खर्चा।
– बीज सहित अन्य व्यय भी शामिल।
बाहर भी नहीं जा रही : सब्जी, तरबूज, खीरा बाहर नहीं जाने के कारण उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। तोडऩे तक की लागत नहीं मिल रही है। ऐसे में किसानों ने फसल खेतों में ही भगवान भरेासे छोड़ दी है।
दूसरे दिन हो जाती है खराब : किसानों ने बताया खरीदार नहीं आने से आढ़तिये सब्जी, तरबूज, खीरा खरीदने से कतरा रहे हैं। लॉकडाउन के कारण चौमूं सहित ग्रामीण क्षेत्र में चल रही मंडियों में खरीदार नहीं आ रहे हैं।
यह है प्रति हेक्टयेर खर्चा : सब्जी सहित जायद फसल तैयार करने से लेकर खाद, बीच, पौधरोपण, कीटनाशक व अन्य खचाज़् एक हेक्टेयर पर करीब 20 से 50 हजार रुपए तक होता है।
अस्थायी मंडियां भी नहीं लगी
— टमाटर, मिर्च, तरबूज के लिए अस्थायी मंडियां लगती थीं। आढ़तिये खेतों से ही सब्जी को ले जाते थे। इससे किसानों को भाव मिल जाते थे, लेकिन लॉकडाउन के कारण मंडी भी नहीं लगी और फसलें धरी ही रह गई। वहीं लॉकडाउन के कारण सब्जियां बाहर नहीं जा सकी, इस कारण किसानों को भाव नहीं मिले।
यहां जाती थी सब्जियां
— जयपुर जिले के चौमूं, बस्सी, शाहपुरा, आंतेला, कोटपूतली मंडी से हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर सहित राजस्थान के जोधपुर, भीलवाड़ा, उदयपुर, भरतपुर समेत कई जिलों में सब्जी की आपूर्ति होती थी, लेकिन इस बार बंद ने हाल बेहाल कर दिए।
मिर्च कचरे में डाल रहे
— पावटा सब्जी मंडी में आढ़तिया रामेश्वर सैनी, सरदारमल, राजू ललानावाला, सुआलाल सैनी, विनोद कुमार, नरेशकुमार सैनी का कहना है कि इस बार जैसे भाव पहले कभी नहीं देखे। सब्जी मंडी में हरी मिर्च का कोई ग्राहक नहीं होने से उसे कचरे में डाल रहे हैं।
एरियावार सब्जी की पैदावार
– शाहपुरा क्षेत्र में मिर्च व टमाटर।
– विराटनगर व पावटा में बैंगन, खीरा, तुरई, टिण्डा, लोकी व कद्दू।
– कोटपूतली में टमाटर, मिर्च, भिंडी, तरबूज व खरबूजा।
– जमवारामगढ़ में टिण्डा, मिर्च, टमाटर, ग्वार फली, भिंडी, तरबूज व खरबूजा।
– बस्सी क्षेत्र में टमाटर, लौकी, भिण्डी, करेला, मिर्च तथा बेल वाली सब्जियां होती हैं।
– रायसर क्षेत्र में लौकी, करेला, तुरई, ग्वार फली, ककड़ी आदि बोई जाती हैं।
– चाकसू के जयसिंहपुरा, शीतलामाता में टिंडा व भिण्डी, छांदेल, गरूडवासी, बापुगांव, बडौदिया, कादेडा में लौकी, कद्दू, करेला, टमाटर अधिक पैदा होता है।
इनका कहना है….
मौसम विपरीत होने के कारण किसानों को जायद फसल में कीटनाशक व रोगोपचार मेें अधिक खर्च करना पड़ा है। फसल की पैदावार अच्छी है, लेकिन मंडियों में खरीदार नहीं मिलने से किसान फसल बेच नहीं पाए। इससे आर्थिक परेशानी हो रही है।
– करणसिंह शेखावत, कृषि पर्यवेक्षक गोविंदगढ़़
कोरोना की वजह से बाहरी व्यापारी मंडियों में नहीं आ रहे हैं। मांगलिक कार्य भी बंद हैं। ऐसे में सब्जी का उचित भाव नहीं मिल रहा है। कोरोना के भय से स्थानीय स्तर पर भी सब्जी कम बिक रही है।
– गुड्डू सैनी, फल व सब्जी के आडतिया, सब्जी मंडी शाहपुरा
कोरोना की वजह से सब्जी के भाव नहीं मिल रहे है। लागत खर्चा भी निकालना मुश्किल हो गया है। प्रति बीघा हजारों रुपए का खर्चा करने के बाद भी किसान मायूस हैं।
– महेश कुमार बांगड़ व अर्जुनलाल, किसान नायन

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