ग्रामीण सत्यनारायण शर्मा ने बताया कि स्कूल में जो कमरे ढहे हैं, वहां कक्षाएं संचालित होती थी। हादसा रात होने से जनहानि नहीं है। इस घटना से ग्रामीण व स्कूल के बच्चे दहशत में हैं। प्रधानाध्यापक रमेश चंद शर्मा ने बताया कि जर्जर भवन के बारे में कई बार प्रशासन को अवगत कराया जा चुका है, लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। भवन में कई जगह बड़ी दरारें भी आ गयी हैं। विभाग के उच्चाधिकारियों को इसकी जानकारी लिखित में भेज दी है। घटना के बाद ग्रामीण जयनारायण शर्मा, सत्यनारायण शर्मा, महेन्द्र चौपड़ा, दिनेश शर्मा, कमलेश शर्मा, विनय महर्षि, रामेश्वर चौपड़ा, ललित महर्षि, सुरेश देगड़ा सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने रोष जताया।
ग्रामीण जयनारायण शर्मा ने बताया कि स्कूल का निर्माण करीब 50 साल पहले हुआ था। जिसमें चूने व पत्थर काम में लिया गया। स्कूल की मरम्मत नहीं होने से छत और दीवारें कमजोर हो गई है। भवन में कई जगह दरारें हैं लेकिन अधिकारी गंभीर नहीं हैं।
शनिवार को बच्चे उन्हीं कक्षा कक्षों में पढ़ाई कर रहे थे, जिन कमरों की छत ढही। हादसे के बाद ग्रामीणों के साथ स्कूली बच्चे भी स्कूल पहुंचे तो वहां कमरों का मलबा दिखाई दिया और उनके बैंच अन्य सामग्री मलबे में दबी दिखी तो सहम गए। कई ग्रामीणों ने हादसे के बाद अपने बच्चों को स्कूल की मरम्मत नहीं होने तक स्कूल भेजने तक से मना कर दिया है। उधर, हादसे के बाद से बच्चों के चेहरे पर डर साफ दिखाई दे रहा था।