प्राथमिक शाला गोंडीटोला अंसेरा में खाना खाकर घर लौट गये बच्चे
मुख्यालय से 17 किमी. दूर शासकीय प्राथमिक शाला गोंडीटोला अंसेरा के विद्यार्थी शनिवार को स्कूल में बिना पढ़ाई के ही मध्याहन भोजन खाकर (खाना खाकर) घर वापस लौट गए।
प्राथमिक शाला गोंडीटोला अंसेरा में खाना खाकर घर लौट गये बच्चे
कटंगी। मुख्यालय से 17 किमी. दूर शासकीय प्राथमिक शाला गोंडीटोला अंसेरा के विद्यार्थी शनिवार को स्कूल में बिना पढ़ाई के ही मध्याहन भोजन खाकर (खाना खाकर) घर वापस लौट गए। दरअसल, स्कूल में विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए कोई शिक्षक मौजूद नहीं होने के कारण बच्चों ने यह कदम उठाया। बता दें कि इस स्कूल में प्रधानपाठक दिलीपसिंह राणा के साथ 1 सहायक अध्यापक विष्णुप्रसाद चौधरी पदस्थ है। जिसमें सहायक अध्यापक शैक्षणिक सत्र की शुरूआत से ही नियमित नहीं आ रहे हैं और आज प्रधानपाठक दोपहर 12 बजे वर्क बुक लेने एवं मीटिंग के लिए जनशिक्षा केन्द्र झालीवाड़ा चले गए। इसके बाद इस स्कूल में पढ़ाने के लिए कोई शिक्षक ही मौजूद नहीं रहा।
शाला प्रबंधन समिति अध्यक्ष देवेन्द्र भलावी, ग्रामीण गुलाबचंद बगाड़े, सुरेश मड़ावी, येशनलाल मड़ावी, कुंवरसिंह तेकाम सहित अन्य अभिभावकों ने बताया कि सहायक अध्यापक की करतूत से प्रधानपाठक भी परेशान है। इस बात की शाला प्रबंधन समिति के माध्यम से कई बार शिक्षा विभाग के अधिकारियों से लेकर सीएम हेल्पलाईन में भी शिकायत गई है। मगर, सहायक अध्यापक को अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है। प्राप्त जानकारी अनुसार विष्णुप्रसाद चौधरी बीते 15 दिनों से बिना अवकाश लिए नदारद है। इस कारण इस सरकारी स्कूल में पढऩे वाले बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। प्रधानपाठक ने बताया कि उनका मीटिंग में जाना जरूरी था। अगर वह नहीं जाते तो उन पर कार्रवाई हो सकती थी। विभागीय कार्रवाई से बचने के लिए मीटिंग में हाजिर होना अनिवार्य था।
उल्लेखनीय है कि जिले में सरकारी स्कूलों का बहुत बुरा हाल है। सरकार जो दावा कर रही है, वह जमीनी स्तर पर पूरी तरह से खोखले और झूठे दिखाई पड़ रहे हैं। शहर से लेकर गांव के स्कूलों में शिक्षकों की बेतहाशा कमी है। शिक्षा व्यवस्था बेपटरी हो चुकी है। मगर कोई नेता और अफसर इसे सुधारने की कवायद नहीं कर रहा है। मौजूदा वक्त में बेहतर शिक्षा का दावा केवल सरकारी कागजों और विज्ञापनों में सिमट कर रह गया है। कटंगी में शिक्षा का इतना बुरा हाल है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले गरीब किसान, दिहाड़ी मजदूर के बच्चों को शिक्षा के नाम पर ठगा जा रहा है। इन्हें स्कूलों में तालिम नहीं मिल रही है। मध्याहन भोजन के नाम पर केवल भरपेट भोजन खिलाया जा रहा है।
इनका कहना है।
मैं अभी प्राचार्यों की बैठक ले रही हूंॅ। इस मामले की जानकारी हम लेते हैं। यदि शिक्षक की लापरवाही सामने आती है तो कार्रवाई की जाएगी। शिक्षकों की कमी के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं।
निर्मला पटले, जिला शिक्षा अधिकारी