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बालाघाट

बनते ही नहर की लाइनिंग में आ रही दरारें, गुणवत्ता पर उठ रहे सवाल

बनते ही नहरों की लाइनिंग में दरारें आना प्रारंभ हो गई है। निर्माण कार्य के गुणवत्ता पर अब सवाल भी उठना प्रारंभ हो गए हैं। 23 करोड़ 45 लाख 90 हजार रुपए की लागत से इस नहर के सीमेंटीकरण का कार्य किया जा रहा है। बालाघाट/लालबर्रा. बनते ही नहरों की लाइनिंग में दरारें आना प्रारंभ […]

बालाघाटMay 25, 2024 / 09:44 pm

Bhaneshwar sakure

लाइनिंग का कार्य

बनते ही नहर की लाइनिंग में आ रही दरारें

बनते ही नहरों की लाइनिंग में दरारें आना प्रारंभ हो गई है। निर्माण कार्य के गुणवत्ता पर अब सवाल भी उठना प्रारंभ हो गए हैं। 23 करोड़ 45 लाख 90 हजार रुपए की लागत से इस नहर के सीमेंटीकरण का कार्य किया जा रहा है।
बालाघाट/लालबर्रा. बनते ही नहरों की लाइनिंग में दरारें आना प्रारंभ हो गई है। निर्माण कार्य के गुणवत्ता पर अब सवाल भी उठना प्रारंभ हो गए हैं। 23 करोड़ 45 लाख 90 हजार रुपए की लागत से इस नहर के सीमेंटीकरण का कार्य किया जा रहा है। निर्माण कार्य वर्ष 2023 में प्रारंभ हुआ है। जो अभी भी अधूरा है। करीब 85 किमी लंबी नहरों के लाइनिंग का कार्य किया जा रहा है। मामला लालबर्रा क्षेत्र के सर्राठी जलाशय का है।

लालबर्रा क्षेत्र के सर्राठी जलाशय का मामला

जानकारी के अनुसार जलाशय की नहरों की लाइनिंग का कार्य कराए जाने की मांग किसानों ने की थी। किसानों की मांग पर तत्कालीन विधायक गौरीशंकर बिसेन ने गौण खनिज मद से 23 करोड़ 35 लाख 90 हजार रुपए से लाइनिंग कार्य स्वीकृत कराया था। नहर के लाइनिंग का कार्य सुपर कंस्ट्रक्शन नामक कंपनी को दिया गया है। लाइनिंग कार्य के प्रारंभ से ही गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं। किसानों ने अनेक बार इसकी शिकायत भी की है। लेकिन गुणवत्ता को लेकर कोई भी सुधार नहीं हुआ है।
घटिया कार्य को छिपाने लगा रहे थेगड़े
लाइनिंग के घटिया कार्य को छिपाने के लिए जगह-जगह थेगड़े लगाए जा रहे हैं। कहीं सीमेंट से दरारों को छिपाया जा रहा है तो कहीं गड्ढों को सीमेंट कांक्रीट से भरा जा रहा है। बावजूद इसके विभाग इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है। गड्ढों को भरने, दरारों को छिपाने के निशान नहर में स्पष्ट रुप से देखे जा सकते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि निर्माण कार्य में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा गया है।
वर्ष 1923 में बनकर तैयार हुआ था जलाशय
अंग्रेजों के कार्यकाल के समय वर्ष 1912 से सर्राटी जलाशय व उसके नहरों का निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ था। जो कि वर्ष 1923 में बनकर तैयार हुआ था। जलाशय का जल ग्रहण क्षेत्र 97.77 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। जिसकी मुख्य नहर बाईं तट, दायीं तट, बकोड़ा माइनर नहर व बघोली माइनर सहित समस्त नहरों की कुल लंबाई 85.086 किलोमीटर है। इन नहरों के सीमेंट्रीकरण कार्य को स्वीकृति वर्ष 2023 में मिली थी। इसी वर्ष से निर्माण कार्य भी प्रारंभ किया गया।
कार्यस्थल पर नहीं लगाया गया सूचना पटल
किसी भी शासकीय कार्य का निर्माण करने के पूर्व या निर्माण कार्य प्रारंभ होते ही सूचना पटल लगाना होता है। ताकि लोगों को निर्माण कार्य के बारे में जानकारी मिल सकें। लेकिन यहां निर्माण कार्य स्थल पर कहीं भी कोई सूचना पटल नहीं लगाया गया है। जिसके चलते यह कार्य कब प्रारंभ हुआ है, लागत क्या है, इसे कब तक पूर्ण करना है, निर्माण एजेंसी कौन है, इसके बारे में कोई नहीं किसानों को नहीं मिल पाती है।
कमजोर बेस के कारण आ रहे दरारें
क्षेत्र के किसानों ने बताया कि नहर के सीमेंटीकरण कार्य में कमजोर बेस है। जिसके कारण अभी से दरारें आने लगी है। इस कार्य में ठेकेदार ने करीब 3 इंच का बेस दिया है। जबकि सीमेंटीकरण कार्य में 6 इंच का बेस होना चाहिए। किसानों का कहना है कि बारिश होने के समय दरारों से पानी का रिसाव होगा। जिससे नहर और क्षतिग्रस्त हो जाएगी। किसानों को अपनी फसल पकाने के लिए समय पर पानी नहीं मिल पाएगा।
इनका कहना है
जहां-जहां नहर में दरारें आ रही है, छोटे गड्ढे हैं उनकी मरम्मत करवाई जाएगी। ठेकेदार को गुणवत्तायुक्त कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं। विभाग ने भी निर्माण कार्य का निरीक्षण कर स्थिति देखी है।
-उदय सिंह परते, कार्यपालन यंत्री, जल संसाधन सर्वेक्षण संभाग, बालाघाट

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