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बालाघाट

पशु औषधालय में चिकित्सकों की कमी

औषधालय भवन बने शोभा की सुपारी, संजीवनी वाहन बना सहाराएक चिकित्सक के भरोसे संचालित हो रहे तीन पशु औषधालय

बालाघाटJun 09, 2019 / 08:26 pm

mukesh yadav

jila aspatal

पशु औषधालय में चिकित्सकों की कमी

कटंगी। विधानसभा क्षेत्र कटंगी-खैरलांजी में चिकित्सकों की कमी की वजह से जहां इंसानों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। वहीं पशु चिकित्सकों की कमी होने से मुक मवेशियोंं को भी तत्काल उपचार नहीं मिल पा रहा है। कटंगी क्षेत्र में पशुओं के उपचार के लिए वैसे तो 7 पशु औषधालय है, लेकिन चिकित्सकों की कमी के कारण यह भवन शोभा की सुपारी बने हुए है तथा अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। जबकि समय पर पशुओं को इलाज न मिलने से उनकी असमय मौत हो रही है। करीब डेढ़ लाख के पशुधन वाले कटंगी क्षेत्र में मात्र 1 पशु चिकित्सक ही तैनात है, जिनके पास 3 अस्पतालों का प्रभार है। ऐसे में मुक मवेशियों के लिए पशुधन संजीवनी वाहन ही सहारा बनी हुई है।
जानकारी अनुसार तहसील मुख्यालय से अधिक दूरी वाले गांवों में मवेशियों को उपचार प्रदान करने के लिए 6 पशु औषधालय केन्द्र संचालित किए जा रहे है। जिनमें बम्हनी, जराहमोहगांव, कटेधरा, महकेपार, सिरपुर, टेकाड़ी (क.), तिरोड़ी शामिल है. इनमें से तिरोड़ी और महकेपार पशु औषधालय में पशु चिकित्सक का पद खाली है। इन अस्पतालों का अतिरिक्त प्रभार कटंगी पशु चिकित्सक एके गजभिए को मिला है। जिनके पास मवेशियों के उपचार के अलावा अन्य शासकीय कार्यो की भी जवाबदेही पहले से ही है। बम्हनी के किसानों ने बताया कि यहां महीनों ताला नहीं खुलता। यहीं शिकायत महकेपार, कटेधरा के किसानों एवं पशुपालकों से भी सुनने को मिली। कटेधरा में तो पद रिक्त होने की वजह से कई महीनों से औषधालय में ताला नहीं खुला है। किसानों एवं पशुपालकों ने शासन का ध्यानाकर्षण कराते हुए रिक्त पदों पर चिकित्सकों की नियुक्ति की मांग की है।
विदित हो कि पशुधन विकास विभाग में चिकित्सकों की कमी के कारण पशुओं के इलाज के लिए महज औपचारिकता का निर्वहन होना प्रतीत पड़ता है। क्षेत्र के पशु औषधालय में चिकित्सक के 5 पद रिक्त है। ऐसे में किसानों को विभागीय योजनाओं का लाभ दिलाना महज चंद कर्मचारियों के लिए कड़ी चुनौती बन रही है। ज्ञात हो कि कृषि कार्यों में मशीनीकरण हावी होने के कारण भैंस व गोवंशीय पशुओं की तादाद में कमी आने लगी है। बढ़ती आबादी एवं औद्योगिक क्षेत्र में सिमटते चारागाह से पशु पालन का कार्य प्रभावित हुआ है। पहले घर-घर गाय पाली जाती थी। कृषि कार्य के लिए बैलों के लिए घर में अलग से कमरा होता था, जो अब घरों में नहीं के बतौर है। पशुओं की चिकित्सा सुविधा का विस्तार तो हुआ, लेकिन चिकित्सालयों में अपेक्षित चिकित्सकों की नियुक्ति नहीं होने से विभागीय योजनाओं का लाभ मवेशी पालक किसानों को नहीं मिल पा रहा है। पशुधन विकास विभाग से न केवल पशुओं का इलाज बल्कि दुग्ध उत्पादन, बकरी पालन, शूकर पालन, कुटुर उद्योग जैसी योजनाओं का संचालन किया जाता है। चिकित्सकों की नियुक्ति नहीं होने से किसानों को अपेक्षित जानकारी नहीं मिल पाती है। पशु औषधालयों में सहायक चिकित्सा विस्तार अधिकारी की नितांत कमी है। मौसमी रोग निवारण, पशुधन टीकाकरण जैसी योजना को सही दिशा दशा नहीं मिल रही है।
वर्सन
विभाग द्वारा पशुओं को तत्काल स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने की हरसंभव कोशिश की जाती है। विभाग ने 1962 पशुधन संजीवनी वाहन जो शुरू किया है, उससे काफी राहत मिली है। अब शिकायत मिलने पर विभागीय अमला जल्द ही मौके पर पहुंचकर अपनी सेवाएं देता है।
एके गजभिए, पशु चिकित्सा अधिकारी कटंगी

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