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बालाघाट

डॉ गजभिए को पुन: पदस्थ करने की हो रही मांग-

बम्हनी अस्पताल नर्स के भरोसे

बालाघाटMar 29, 2020 / 07:18 pm

mukesh yadav

डॉ गजभिए को पुन: पदस्थ करने की हो रही मांग-

डॉ गजभिए को पुन: पदस्थ करने की हो रही मांग-

तिरोड़ी/बोनकट्टा। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत दिनों दिन खराब होती जा रही है। ऐसे ही हालात हैं तिरोड़ी तहसील के अंतर्गत आने वाले उप स्वास्थ्य केंद्र बम्हनी के है। यहां पर लाखों रुपए की लागत से बना अस्पताल भवन तो है, लेकिन मरीजों को दवा लिखने वाले चिकित्सक नहीं है। मजबूरी में नर्स मरीजों को दवाईयां दे रही है। ग्रामीणों ने बताया कि कुछ सप्ताह पहले तक डॉ गजभिए अस्पताल में पदस्थ थे। लेकिन कटंगी सामुदायिक अस्पताल में पदस्थ खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ पंकज दुबे के उपचार के लिए जाने के बाद चिकित्सकों की कमी को देखते हुए डॉ गजभिए को कटंगी में पदभार दिया गया। अब डॉ पंकज दुबे स्वस्थ होकर लौट चुके हैं। लेकिन डॉ गजभिए को अब तक कटंगी से रिलीव नहीं किया गया है। ग्रामीणों को इस बात का डर है कि अब शायद कभी बम्हनी केन्द्र में चिकित्सक की नियुक्ति होगी या नहीं जिसके चलते ग्रामीणों ने कलेक्टर का ध्यानाकर्षण कराते हुए तत्काल डॉ गजभिए को बम्हनी में पुन: पदभार देने की मांग की है।
स्वास्थ्य केंद्र बम्हनी में पिछले 1 माह से चिकित्सक का अभाव बना हुआ है, चिकित्सक के अभाव के चलते रोगियों का उपचार भी भगवान भरोसे चल रहा है। ऐसे में छोटी-मोटी बीमारियां होने पर रोगियों को उपचार के लिए अनुविभाग मुख्यालय या फिर निजी अस्पताल पहुंचकर अपना इलाज करवाना पड़ रहा है। हालाकिं अभी कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए जो लॉकडाउन घोषित किया गया है उस कारण ग्रामीण डर की वजह से कटंगी भी नहीं आ रहे हैं। बता दें कि शासन-प्रशासन के आदेशानुसार ग्रामीण अपनी हर समस्या को आशा कार्यकर्ता तक पहुंचा रहे हैं। लेकिन ग्रामीणों की मांग है कि अस्पताल में चिकित्सक पदस्थ किया जाए ताकि उपचार कराने में कोई दिक्कत ना हो।
गौरतलब हो कि सरकारों ने भले ही नि:शुल्क उपचार के साथ ही नि:शुल्क दवा वितरण देना शुरू कर दिया है। लेकिन चिकित्सकों की उपलब्धता नहीं होने से मरीजो को न तो परामर्श मिल रहा है न ही उपचार। आलम यह है कि सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर नि:शुल्क दवा तो है लेकिन दवा लिखने वाला चिकित्सक नहीं है। बता दें कि सरकार के ही निर्देशों के मुताबिक हर स्वास्थ्य केन्द्र में चिकित्सक होना अनिवार्य है। लेकिन बीते 2 दशक से अस्पतालों में चिकित्सकों की बेजा कमी है।
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