बताया गया है कि बलिया जिले के रेवती निवासी राम लखन चौहान की चार साल की मासूम बेटी जाह्नवी को तेज बुखार था। रविवार को वह बेटी को लेकर सुबह-सुबह सात बजे ही रेवती स्थित सामुदायिक स्वाथ्य केन्द्र पहुंच गया। मरीज और तीमारदार तो सही समय से पहुंच गए पर डॉक्टर वहां मौजूद ही नहीं थे। अस्पताल में पूछने पर उसे इंतजार कराया जाता रहा। घंटों इंतजार के बाद जब आखिरकार बेटी जाह्नवी ने दम तोड़ दिया। जिस अस्पतालम में बेटी को इलाज करा स्वस्थ्य करने की उम्मीद लेकर आया था वही उसकी मौत का कारण बन गयी। बड़ी बात यह कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के अधीक्षक शशि प्रकाश बलिया शहर में अपने मकान पर संडे इंज्वाय कर रहे थे। जब उनसे जाह्नवी की मौत की बाबत सवाल किया गया तो उन्होंने साफ कह दिया कि लड़की मरी हुई लायी गयी थी। पर जब दूसरा सवाल यह किया गया कि जब आप ड्यूटी पर ही नहीं थे तो आप इतने यकीन से कैसे कह सकते हैं, इस पर वह जवाब भी नहीं दे सके।
इस बात की खबर जब स्थानीय लोगों को लगी तो उनके गुस्से का ठिकाना नहीं रहा। लोगों ने इसको लेकर अस्पताल परिवार में धरना-प्रदर्शन किया। स्थानीय लोगों का कहना था कि स्वास्थ्य व्यवस्था की बेहतरी का जो दावा किया गया था वह फेल होता दिख रहा है। जब अस्पताल में डॉक्टर और दवाएं ही नहीं मौजूद रहेंगी तो बिल्डिंगें बनाकर क्या हो जाएगा।
उधर सरकार के एक साल उपलब्धियां गिनाने पहंचे जिले के प्रभारी मंत्री श्रीकांत शर्मा से जब इस पर सवाल किया गया तो उन्होंने भी इसपर गोलमोल ही जवाब दिया। कहा कि हमें पिछली सरकार से बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था मिली और हम उसे ठीक कर रहे हैं।
by Amit Kumar Tiwari