बता दें कि कोरोना का संदिग्ध मरीज 14 मार्च को अपने साथियों के साथ मलेशिया से भारत अपने गांव लौटा था। तेज बुखार सर्दी खासी जुकाम और सांस फूलने की शिकायत के बाद उसे की सुबह 10 बजे आईसोलशन वार्ड में दाखिल कराया गया था। चिकित्सकों ने प्राथमिक परीक्षण के बाद कोरोना जांच के लिए टीम को सूचित कर दिया था पर सेंपल लेने से पहले ही जब विभाग के कर्मचारियों ने वार्ड मवन जाकर देखा तो वो वहां नहीं था। उच्चाधिकारियों को इस सम्बंध में जानकारी दी गई, तो विभाग में हड़कम्प मच गया।
विभाग इस बात से परेशान है कि अगर उसे जल्द पकड़ा न जा सका तो ये वायरस कई और को भी जड़ में ले सकता है। देर शाम कोरोना की जांच के लिए उसका सेम्पल लेना था पर जब टीम जिला चिकित्सालय पहुंची तो ये देख कर हैरान हो गई कि कोरोना का संदिग्ध मरीज वार्ड से गायब है। आनन फानन में सीएमएस बलिया ने जिले के डीएम और एसपी को फरार मरीज की सुचना दी।
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अस्पताल की सुरक्षा पर उठ रहे सवालिया निशान
बलिया जिला चिकित्सालय के सीएमएस डाक्टर बी.पी. सिंह का कहना है कि यह बहुत ही खतरनाक स्थिति है जब कोई संदिग्ध मरीज अस्पताल से फरार हो जाए, क्योंकि अगर वह पाजिटिव होगा तो कम्युनिटी के लिए खतरनाक साबित होगा, लेकिन इन सबके बावजूद जिला अस्पताल की सुरक्षा पर भी सवालिया निशान खड़ा होता है कि अस्पताल में तमाम स्टाफ रहने के बावजूद भी मरीज आसानी से कैसे फरार हो गया।