चंद्रिका प्रसाद ने पत्रिका को बताया कि वह इससे पहले दल्लीराजहरा में काम करता था। 1980 में जूते की सिलाई कर रहा था। सिलाई करने वाले औजार में धागा था, जो टूट गया और नुकीला औजार आंख में घुस गया। पहले तो एक आंख खराब थी। एक आंख से काम चला लेता था, लेकिन 20 साल बाद 2000 में उनकी एक और आंख खराब हो गई। दोनों आंख से नेत्रहीन होने के बाद भी अपने काम को नहीं छोड़ा।