जिले में लगभग नौ सौ साल पुराने प्राचीन देवी-देवताओं सहित साहसी सैनिकों की प्रतिमाएं हैं। इन प्रतिमाओं की रखरखाव नहीं होने के कारण इन्हें संरक्षित रखना बड़ी चुनौती बनती जा रही है। जिला मुख्यालय के बूढ़ातालाब स्थित अविभाजित मध्यप्रदेश शासनकाल का पहला मुक्त खुला संग्रहालय है। इस संग्रहालय में लगभग 98 प्राचीन प्रतिमाएं रखी हुई है।
बताया जाता है कि इन प्राचीन प्रतिमाओं को बालोद के राजा ने अपने सैनिकों की याद में बनाया था। सभी प्रतिमा 12वीं से 16 वीं शताब्दी के है। प्राचीन प्रतिमाओं की सुरक्षा के लिए कोई विशेष व्यवस्था पुरातत्व विभाग व जिला प्रसासन ने नहीं की है। सुरक्षा के अभाव में मूर्तियां चोरी की घटनाएं भी घट चुकी है। वर्तमान में यह संग्रहालय उपेक्षित है। जिले के विभिन्न जगहों पर ऐसी ही प्राचीन प्रतिमाएं है जिसकी सुरक्षा पर ध्यान देना जरूरी हो गया है।
इतिहास के जानकार रमेश शर्मा ने बताया कि खुला संग्रहालय में रखी प्रतिमाएं काफी पुरानी है। इन प्रतिमाओं का मध्यप्रदेश शासनकाल से छत्तीसगढ़ में भी अलग ही पहचान है। उन्होंने बताया कि यह प्रतिमाएं डौंडी ब्लाक के ग्राम नर्राटोला की है। ये प्रतिमाएं कई सालों से गांव के तालाब किनारे पड़े हुए थे। बालोद के राजा बलदेव शाह जब अपने विरोधियों से युद्ध करते थे तब उसके सैनिक युद्ध जीतते या फिर मारे जाते थे। उन्हीं की याद में प्रतिमाएं बनाकर स्थापित करते थे। यह मूर्ति कुण्डी पत्थर से बनाया गया है। जानकारी के अनुसार डौंडी ब्लाक के पहाड़ी क्षेत्रों में यह कुंडी पत्थर निकलता है। वहीं से पत्थर निकालकर प्रतिमा बनाई गई थी।
1992 में बना संग्रहालय, प्रदेश के मुख्य सचिव आए थे निरीक्षण में
जिला मुख्यालय में इस खुला संग्रहालय का निर्माण सन् 1992 में बालोद एसडीएम नगर पालिका प्रसासक आशुतोष अवस्थी ने मध्यप्रदेश पुरातत्व संघ से मिलकर करवाया था। इससे पहले इतिहास के जानकार अरमान अश्क व रमेश शर्मा ने इन मूर्ति वाले क्षेत्रों की जानकारी ली फिर मूर्तियों को गाड़ी के माध्यम से बालोद लाकर संग्रहालय का निर्माण कराया गया। सबसे बड़ी बात यह है कि अविभाजित दुर्ग जिले के कलक्टर विवेक ढांढ ने इस खुला संग्रहालय का निरीक्षण सन 1992 में किया था। इन दुर्लभ प्रतिमाओं को संरक्षित रखने के लिए इसे संग्रहालय में रखा गया। पर पुरातत्व विभाग द्वारा देख रेख के अभाव में आसामाजिक तत्वों के द्वारा इन प्रतिमाओं को नुकसान पहुंचा जा रहा हैं।
चोरी की घटना के बाद भी नहीं सुरक्षा के इंतजाम
ज्ञात हो की जिला मुख्यालय में स्थित इस खुला संग्रहालय में लगभग 105 प्राचीन प्रतिमाओं को रखा गया था। संग्रहालय के निर्माण व स्थापना के बाद सन् 1993 में अज्ञात चोरों ने इस संग्रहालय से 5 प्राचीन मूर्तियों की चोरी कर ली थी। मूर्तियों की चोरी की घटना के बाद भी अभी तक शासन प्रशासन व पुरातत्व विभाग ने सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए है। पूरा संग्रहालय पूरी तरह खुले आसमान के नीचे पड़ा हुआ है।
बालोद के राजा के सैनिकों के मूर्तियां
इस संग्रहालय में जहां 12 वीं से 16 वीं शताब्दी के भगवान गणेश, चामुंडा, भगवान बुद्ध के याचक व बालोद के राजा के सैनिकों के मूर्तियां हैं। इसके अलावा यहीं बूढ़ातालाब के पास भी प्राचीन प्रतिमाएं हैं जो अब देखरेख के अभाव में पूरी तरह झाडिय़ों में छिप गए हैं।
जिले के इन स्थानों पर है प्राचीन मूर्तियां
संजारी बालोद में भी 12वीं शताब्दी की गणेश व अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा रखी हुई है। जिले के गोरैया धाम में भी बड़ी संख्या में प्राचीन मूर्तियां रखी हुई है इन मूर्तियों को मंदिर समिति के सहयोग से सन 1970 के आस पास संरक्षित किया गया। जगन्नाथपुर में भी 16वीं शताब्दी के प्राचीन शिव मंदिर व भगवान गणेश की प्रतिमा है। नगर के नया पारा स्थित प्राचीन कपिलेश्वर मंदिर में भी कई प्राचीन मूर्तियां है।