नदी का अस्तित्व बचाने में कोई सरोकार नहीं
कहा जाए नदी किनारे संचालित ईंट भट्ठाें ने तो नदी की सूरत ही बिगाड़ दी है। वही लगभग अधा दर्जन से ज्यादा ईंट भट्ठे तांदुला नदी के पानी का भी दोहन कर रहे हैं। जो इसका उपयोग ईंट बनाने में करते हैं, पर तांदुला नदी की सफाई, इसको व्यवस्थित रखने, इसके अस्तित्व को बचाए रखने से संचालकों को कोई सरोकार नहीं है।
अधिकारी से नहीं हो सकी बात
बस इनका एक ही उद्देश्य है कि ऐन-केन-प्रकारेण प्राकृतिक संसाधन को दोहन करो और खजाना भरो। मामले में संबंधित विभाग भी पूरा साथ दे रहा है। मामले में खनिज विभाग के जिला अधिकारी दीपक मिश्रा को तीन बार फोन लगाया गया पर उनसे बात नहीं हो पाई। पिछली बार एसडीएम ने ईंट भट्ठों पर बड़ी कार्रवाई की थी।
नदी के लेकर हर सप्ताह मिलती हैं शिकायतें
ज्ञात रहे तंदुला नदी की स्थिति मुहाने से अंतिम छोर तक बेहद दयनीय हो चुकी है। नदी मामले में अलग-अलग लगातार शिकायतें शासन-प्रशासन तक पहुंचती रहती है, पर विभागों के जिम्मेदार कभी ठोस कदम उठाकर इसे रोकने की कोशिश कभी नहीं की।
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