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बालोद

तीन साल से बंद कचांदुर के दिव्यांग आवासीय प्रशिक्षण केंद्र के संचालन की फिर जगी उम्मीद

गुंडरदेही ब्लॉक के ग्राम कचांदुर में संचालित जिले का एक मात्र दिव्यांग स्कूल 7 साल से संचालित होते हुए ऐसे बच्चों का भविष्य गढ़ रहे थे। पर दुख की बात ये है कि फंड के आभाव में तीन साल पहले इस केंद्र को बंद कर दिया गया था। इसे अब फिर से संचालित करने की योजना जिला प्रशासन ने बनाई है।

बालोदMay 16, 2019 / 12:36 am

Chandra Kishor Deshmukh

balod patrika

तीन साल से बंद कचांदुर के दिव्यांग आवासीय प्रशिक्षण केंद्र के संचालन की फिर जगी उम्मीद

बालोद @ patrika . गुंडरदेही ब्लॉक के ग्राम कचांदुर में संचालित जिले का एक मात्र दिव्यांग स्कूल 7 साल से संचालित होते हुए ऐसे बच्चों का भविष्य गढ़ रहे थे। पर दुख की बात ये है कि फंड के अभाव में तीन साल पहले इस केंद्र को बंद कर दिया गया था। इसे अब फिर से संचालित करने की योजना जिला प्रशासन ने बनाई है। एक दिव्यांग की शिक्षा में बड़ी उपलब्धि को देखते हुए शिक्षा विभाग को इसकी तैयारी के आदेश दिए गए हैं।

केंद्र को शुरू कराने की जाएगी पहल
ज्ञात रहे कि तीन साल पहले केंद्र संचालन के लिए प्रशासन से राशि ही नहीं आई। वहीं कहीं से कोई मदद भी नहीं मिला। इस वजह से अवासीय प्रशिक्षण केंद्र को बंद करने का निर्णय लिया गया था। अब नए सत्र से केंद्र को फिर से शुरू कराने कलक्टर रानू साहू ने पहल की हैं। उन्होंने इसके लिए ग्राम कचांदुर जाकर बंद केंद्र का जायजा लिया। उन्होंने कहा है कि इस केंद्र को शुरू कराने पहल की जाएगी। बता दें कि हाल ही में कक्षा बारहवीं का परीक्षा परिणाम आया, तो इसी बंद दिव्यांग प्रशिक्षण केंद्र में पढ़ाई किए छात्र फकीर राम नेत्रहीन होते हुए भी 74 फीसदी अंक लेकर उत्तीर्ण हुआ है। केंद्र बंद होने के बाद उन्होंने कचांदुर के ही सामान्य स्कूल में दाखिला लेकर पढ़ाई जारी रखी थी।

केंद्र बंद हुआ तो दिव्यांग बच्चे हो गए सामान्य स्कूल की पढ़ाई में कमजोर
बता दें कि जब यह प्रशिक्षण केंद्र खुला था तब यहां 22 दिव्यांग बच्चे अध्ययनरत थे, जिसमें नेत्रहीन भी शामिल थे। यहां की आधुनिक पढ़ाई से बच्चे जो नेत्रहीन या मुखबधीर होते हुए भी उनकी प्रतिभाएं सामने आ रही थी। फंड के आभाव में जैसे ही केंद्र बंद हुआ तो यहां के विद्यार्थियों को उनके गांव के स्कूल में मर्ज कर दिया गया, इससे जो उत्सुकता केंद्र में पढ़ाई में थी वह नहीं रही। इससे उनके अनुसार पढ़ाई में मार्गदर्शन नहीं मिलने से अन्य बच्चे पढ़ाई में कमजोर हो गए।

दुर्ग जिला के समय 2011 से संचालित था केंद्र
इस विशेष प्रशिक्षण केंद्र का संचालन 11 सितंबर 2011 को शुरू हुआ था। इसका उद्घाटन अविभाजित दुर्ग जिले की कलक्टर रीना बाबा कांगाले ने किया था। इसका उद्देश्य दिव्यांग बच्चों को स्कूल से प्रशिक्षित कर आत्मनिर्भर बनाना था। बच्चों को केंद्र में रखकर ही प्रशिक्षण दिया जाता था, जिसमें हर तरह के दिव्यांग बच्चों को पढ़ाई, लिखाई के साथ आधुनिक शिक्षा कंप्यूटर, ड्राइंग सहित अन्य कई तरह का प्रशिक्षण दिया जाता था। 6 साल तक केंद्र बिना परेशानी के चला। तीन साल से केंद्र संचालन के लिए राज्य शासन से राशि नहीं भेजी गई जिससे इसे बंद करने का निर्णय लिया गया।

एक साल उधारी में चला केंद्र, अलग मद का किया उपयोग
सर्व शिक्षा अभियान अंतर्गत संचालित यह केंद्र आवासीय है। यहां बच्चे रहते हैं। उनके लिए भोजन सहित अन्य व्यवस्था की जाती रही है। केंद्र में आने वाले प्रति बच्चों के हिसाब से साल भर के लिए 20 हजार की राशि आती थी। पर यह राशि 3 वर्षों से आना बंद हो गया था।

शासन से नहीं मिली राशि : एपीसी
केंद्र के संचालक जेडी फाउंडेशन के अध्यक्ष संतोष चंद्राकर ने बताया हमारी संस्था इस केंद्र का संचालन करती थी। कुछ समय उधारी में फाउंडेशन ही संस्था चलाती रही। सर्व शिक्षा अभियान परियोजना कार्यालय के एपीसी ने बताया बीते साल का आबंटन प्राप्त है, पर शासन से राशि नहीं आने के कारण समावेशी शिक्षा मद के 4 लाख रुपए इस केंद्र को संचालन करने के लिए दिया था, पर तीन साल से राशि के अभाव में केंद्र नहीं खोला जा सका।

कलक्टर ने लिया बंद दिव्यांग प्रशिक्षण केंद्र का जायजा
जिला शिक्षा अधिकारी आरएल ठाकुर ने बताया कलक्टर ने इस बंद दिव्यांग आवासीय प्रशिक्षण केंद्र का जायजा लिया है। शायद इस सत्र से प्रशिक्षण केंद्र को पुन: संचालित किया जाएगा।

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